Shriram Finance —वो कंपनी जो ट्रक ड्राइवरों, छोटे दुकानदारों, और गांव के उद्यमियों के सपनों को हक़ीक़त में बदलने का ज़रिया बनी, इस बार ख़ुद एक मुश्किल दौर से गुज़र रही है. 28 अप्रैल 2025 को आए चौथी तिमाही (Q4 FY25) के नतीजों ने कंपनी के शेयरों को 9% तक नीचे ला पटका. वजह? बढ़ती क्रेडिट लागत, घटता नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM), और ग्रामीण इलाकों में क़र्ज़ की वसूली में आई मुश्किलें.
लेकिन क्या ये गिरावट सिर्फ़ एक ठोकर है, या लंबी चुनौतियों का संकेत? ये कहानी उन लोगों की है जो श्रीराम फ़ाइनांस के ज़रिए अपने सपनों को साकार करते हैं, और उन निवेशकों की, जो इस कंपनी के भविष्य पर दांव लगाए बैठे हैं. आइए, इस तिमाही की हक़ीक़त को क़रीब से देखें और समझें कि आगे की राह कैसी हो सकती है.
Q4 FY25: सपनों की उड़ान में रुकावटें
श्रीराम फ़ाइनांस ने अपनी तिमाही में कुछ मिलेजुले नतीजे पेश किए. कंपनी का मुनाफ़ा साल-दर-साल (YoY) 9.9% बढ़कर ₹2,139.4 करोड़ रहा, और नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) 13% की बढ़त के साथ ₹6,051 करोड़ तक पहुंचा. लेकिन ये आंकड़े उम्मीदों से कम रहे, और बाज़ार ने इसे तुरंत भांप लिया. शेयरों में 9% की गिरावट और अगले दो सत्रों में कुल 15% की कमी ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया.
कंपनी की बैलेंस शीट पर नज़र डालें, तो कुछ साफ़ चुनौतियां सामने आती हैं:
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नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM)
: तिमाही में NIM 8.25% तक गिर गया, जो पिछले तिमाही के 8.48% से कम है. वजह? ₹30,000 करोड़ की अतिरिक्त लिक्विडिटी, जो कंपनी की सामान्य ₹19,000 करोड़ की तुलना में कहीं ज़्यादा थी. इसने मार्जिन पर दबाव डाला.
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क्रेडिट लागत
: 2.4% की क्रेडिट लागत उम्मीद से ज़्यादा रही. कंपनी ने ₹2,340 करोड़ के खराब कर्ज़ राइट-ऑफ़ किए, जो ग्रामीण इलाकों में वसूली की मुश्किलों को दिखाता है.
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एसेट क्वालिटी
: ग्रॉस नॉन-परफ़ॉर्मिंग एसेट्स (GNPA) 4.55% और नेट NPA 2.64% पर रहे, जो पिछले तिमाही से बेहतर हैं. लेकिन स्टेज 2 और स्टेज 3 लोन्स में बढ़ोतरी ने चिंता बढ़ाई.
- लोन ग्रोथ : एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) 17% बढ़कर ₹2.63 लाख करोड़ तक पहुंचा, जो एक सकारात्मक संकेत है. कंपनी ने FY26 के लिए 15% लोन ग्रोथ का लक्ष्य रखा है.
पैमाना | Q4 FY25 स्थिति | मुख्य टिप्पणी |
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नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) | 8.25% | अतिरिक्त लिक्विडिटी (₹30,000 करोड़) ने मार्जिन को दबाया |
क्रेडिट लागत | 2.40% | ₹2,340 करोड़ के लोन राइट-ऑफ, ग्रामीण इलाकों में वसूली की चुनौती |
नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) | ₹6,051 करोड़% | उम्मीद से 5% कम, लेकिन स्थिर ग्रोथ |
ग्रॉस NPA | 4.55% | एसेट क्वालिटी में सुधार, लेकिन स्टेज 2/3 लोन्स में बढ़ोतरी |
AUM ग्रोथ | ₹2.63 लाख करोड़% | कमर्शियल व्हीकल, गोल्ड, और पर्सनल लोन सेगमेंट में मजबूत ग्रोथ |
स्रोत: श्रीराम फ़ाइनांस Q4 FY25 रिज़ल्ट |
ग्रामीण भारत का दर्द, कंपनी की चुनौती
श्रीराम फ़ाइनांस की ताक़त उसकी ग्रामीण और कस्बों में पहुंच में है. ये कंपनी उन लोगों के लिए क़र्ज़ का दरवाज़ा खोलती है, जिन्हें बड़े बैंक अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं—ट्रक ड्राइवर, छोटे किसान, और माइक्रो इंडस्ट्री. लेकिन यही ताक़त इस तिमाही में कमज़ोरी बन गई. मध्य भारत के कुछ हिस्सों—छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, और बिहार के सीमावर्ती इलाकों—में आर्थिक सुस्ती ने क़र्ज़ की वसूली को मुश्किल बना दिया.
कंपनी ने बताया कि इन इलाकों में डिफ़ॉल्ट दरें बढ़ीं, जिसका असर क्रेडिट लागत पर पड़ा. हालांकि, प्रबंधन का कहना है कि ये तनाव अस्थायी है. "हालात अब सुधर रहे हैं, और हमें FY26 में एसेट क्वालिटी में और गिरावट की आशंका नहीं दिखती," कंपनी के MD और CEO, वाई.एस. चक्रवर्ती ने कहा.
इसके अलावा, कंपनी ने अपनी बैलेंस शीट पर अतिरिक्त कैश रखा, जो एक तरफ़ तो सुरक्षित रणनीति थी, लेकिन इसने NIM को 20-23 बेसिस पॉइंट तक नीचे खींच लिया. प्रबंधन का अनुमान है कि अगले दो तिमाहियों में ये लिक्विडिटी सामान्य हो जाएगी, जिससे मार्जिन में सुधार होगा.
उम्मीद की किरण: कंपनी की ताकतें
हर अंधेरे में एक रोशनी होती है, और श्रीराम फ़ाइनांस की कहानी में भी कुछ सकारात्मक पहलू हैं.
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फ़ीस और कमीशन इनकम
: कंपनी की फ़ीस इनकम में क़रीब 96% का उछाल आया, जो ₹331 करोड़ तक पहुंची. ये क्रॉस-सेलिंग और नए प्रोडक्ट्स की सफलता को दिखाता है.
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ऑपरेटिंग खर्चों में अनुशासन
: लागत-से-आय अनुपात को नियंत्रित रखने में कंपनी ने समझदारी दिखाई, जिसने मुनाफ़े को कुछ हद तक सहारा दिया.
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मजबूत लोन बुक
: कमर्शियल व्हीकल, गोल्ड लोन, और पर्सनल लोन सेगमेंट में 17% की ग्रोथ ने कंपनी की ग्रामीण बाज़ारों में गहरी पैठ को और मज़बूत किया.
- डिविडेंड : कंपनी ने FY25 के लिए ₹3 प्रति शेयर (150%) का अंतिम डिविडेंड घोषित किया, जो निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है.
इन ताक़तों ने विश्लेषकों को लंबी अवधि के लिए आशावादी रखा है. CLSA ने 'आउटपरफ़ॉर्म' रेटिंग बरक़रार रखी और टारगेट प्राइस को ₹670 से बढ़ाकर ₹735 कर दिया. Nuvama ने 'बाय' रेटिंग के साथ ₹760 का टारगेट दिया, हालांकि उसने निकट अवधि में शेयर की क़ीमत में नरमी की चेतावनी दी.
निवेशकों के लिए सबक: सतर्कता और धैर्य
Shriram Finance
की कहानी हमें सिखाती है कि सपनों को फ़ंड करना आसान नहीं. कंपनी ने लाखों भारतीयों को आर्थिक आज़ादी दी, लेकिन आर्थिक सुस्ती और लिक्विडिटी के दबाव ने उसे भी प्रभावित किया. निवेशकों के लिए ये समय सतर्कता और धैर्य का है.
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क्या देखें?
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एसेट क्वालिटी
: स्टेज 2 और स्टेज 3 लोन्स में कमी और GNPA में और सुधार.
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NIM रिकवरी
: अगले दो तिमाहियों में लिक्विडिटी सामान्य होने पर मार्जिन में सुधार.
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ग्रामीण रिकवरी
: मध्य भारत में आर्थिक हालात और वसूली दरों पर नज़र.
- लोन ग्रोथ : 15% ग्रोथ लक्ष्य की दिशा में प्रगति.
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क्या करें?
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अल्पकालिक निवेशक
: मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए सही क़ीमत का इंतज़ार करें.
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लंबी अवधि के निवेशक
: कंपनी की मज़बूत बैलेंस शीट, ग्रामीण पहुंच, और डायवर्सिफ़ाइड पोर्टफ़ोलियो पर भरोसा रखें.
- डायवर्सिफिकेशन : NBFC सेक्टर की अनिश्चितताओं को देखते हुए अपने पोर्टफ़ोलियो को संतुलित रखें.
ठोकर से सबक, सपनों की नई उड़ान
Shriram Finance की Q4 की कहानी चुनौतियों और उम्मीदों का मिश्रण है. ग्रामीण भारत के सपनों को पंख देने वाली यह कंपनी इस बार हक़ीक़त की ठोकर से लुढ़की, लेकिन उसकी जड़ें मज़बूत हैं. बढ़ती क्रेडिट लागत और घटते मार्जिन ने निवेशकों को झटका दिया, लेकिन कंपनी की फीस इनकम, ऑपरेटिंग अनुशासन, और 15% ग्रोथ का लक्ष्य भविष्य की राह को रोशन करते हैं.
निवेशक के लिए यह समय है सावधानी से कदम बढ़ाने का, लेकिन डरने का नहीं. Shriram Finance की कहानी हमें याद दिलाती है कि सपने मुश्किलों के बावजूद उड़ान भरते हैं—बस थोड़े धैर्य और सही रणनीति की ज़रूरत होती है.