AI या रोबो-एडवाइज़र, निवेश में किसकी सलाह है बेहतर?  

Published: 26th Sep 2024

ऑटोमेटेड, मशीन से मिलने वाली फ़ाइनेंस पर सलाह कैसी होनी चाहिए.

रोबो-एडवाइज़र का मतलब?

यहां रोबो-एडवाइज़र से मेरा मतलब एक असली इंसानी सलाहकार के बजाए एक ऑटोमैटिक, सॉफ़्टवेयर से चलने वाली सलाह से बदलना है. हालांकि, ध्यान रखें कि रोबो-एडवाइज़र से मेरा मतलब 'AI' नहीं है.

फ़ंड निवेशकों के लिए सलाह की ज़रूरत

म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों में से ज़्यादातर को सलाह की ज़रूरत होती ही है. हालांकि, अच्छी क्वालिटी वाले इंसानी सलाहकारों की फ़ीस ऐसी होती है जो छोटे निवेश पोर्टफ़ोलियो के लिए बिल्कुल सही नहीं होती.

ख़राब फैसलों का असर

नतीजा, कई नए निवेशकों को म्यूचुअल फ़ंड की जटिल दुनिया में ख़ुद रास्ता तलाशना पड़ता है, जिससे अक्सर निवेश के फ़ैसले ख़राब हो जाते हैं या इससे भी बुरा होता है कि बहुत से लोग निवेश से पूरी तरह दूर हो जाते हैं.

रोबो-एडवाइज़र का फ़ायदा

यहीं पर आते हैं रोबो-एडवाइज़र, जो एक बड़ी खाई पाट देते हैं. एल्गोरिदम और पहले से तय रूल्स के आधार पर ये स्टैंडर्ड लेकिन निजी सलाह दे सकते हैं, जो ताज़े-ताज़े निवेशकों के लिए बेहद क़ारगर हो सकती है.  

भारत में फ़ाइनेशियल एडवाइज़ का भविष्य?

एक्सपर्ट सिस्टम एक तरह का AI है जो किसी ख़ास क्षेत्र में इंसानी एक्सपर्ट की नकल करता है. भारत में बड़े पैमाने पर फ़ाइनेशियल एडवाइज़ का भविष्य अ-पारदर्शी AI सिस्टम के बजाय इन नियम-आधारित, पारदर्शी रोबो-एडवाइज़रों के इर्द-गिर्द बनना चाहिए.