Published on: 2nd June 2025
2019 की टेलीकॉम क्राइसिस के बाद, एयरटेल ने डिजिटल सर्विसेज और ब्रॉडबैंड में जोर लगाया. इससे कंपनी की ग्रोथ और शेयर वैल्यू दोनों बढ़े.
6 साल बाद, एयरटेल कैश मशीन बन चुकी है. लेकिन सवाल ये है कि क्या ग्रोथ स्टोरी अभी भी वैसी ही है?
ग्राहक जोड़ना लगभग बंद. अब रेवेन्यू बढ़ाने का रास्ता सिर्फ ARPU (Average Revenue Per User) बढ़ाना बचा है.
– रेगुलेटर की कड़ी निगरानी – ग्राहक प्राइस बढ़ोतरी को सहज नहीं लेते बाजार में प्राइसिंग की सीमा
भारत का ARPU अभी कम है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से देखें तो यह विकसित देशों के करीब है. इसलिए ARPU बढ़ाने की गुंजाइश उतनी बड़ी नहीं.
दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे 5G बाजारों में भी ARPU में खास बढ़ोतरी नहीं हुई. भारत में भी 5G से प्रीमियम प्राइसिंग की उम्मीद कम है.
वोडाफोन-आइडिया के गिरने से एयरटेल और जियो की बाजार हिस्सेदारी बढ़ी. लेकिन दुनियाभर में टेलीकॉम इंडस्ट्री कॉन्सट्रेटेड होती है, इसलिए ये नया नहीं.
5G में भारी निवेश के बाद, कैपेक्स अगले सालों में थोड़ा कम होगा. लेकिन टेलीकॉम बिजनेस अब भी पूंजीगहन है.
एयरटेल ब्लैक जैसे प्लान मोबाइल, ब्रॉडबैंड, OTT को जोड़कर ARPU बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन ये ज्यादा बड़े स्तर पर प्रभावी नहीं हो सकते.
– टिकाऊ फ्री कैश फ्लो जेनरेट कर रही है भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री में बड़ी खिलाड़ी बनी हुई है
एयरटेल का P/E और EV/EBITDA मल्टीपल्स काफ़ी ऊंचे हैं. यह वैश्विक टेलीकॉम कंपनियों से ज़्यादा महंगा स्टॉक दिखता है.
टी-मोबाइल, वेरिजॉन जैसे बड़े खिलाड़ी एयरटेल से बड़े हैं लेकिन कम मल्टीपल्स पर ट्रेड करते हैं. यह दर्शाता है कि एयरटेल का वैल्यूएशन चुनौतीपूर्ण है.
पुरानी ग्रोथ के लिए प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है. भविष्य की ग्रोथ धीमी और मुश्किल हो सकती है.
एयरटेल अब मैच्योर कंपनी बन चुकी है. यह मजबूत है लेकिन पुराने तेज ग्रोथ की उम्मीद कम. निवेश से पहले कंपनी की नई कहानी और वैल्यूएशन ध्यान से देखें.
ये पोस्ट सिर्फ़ जानकारी के लिए है. इसे निवेश सलाह न समझें. किसी भी निवेश के फ़ैसले से पहले एक्सपर्ट से सलाह ज़रूर लें.