Published: 21st Jan 2025
दोनों ही निवेश के लोकप्रिय विकल्प हैं, लेकिन इनमें क्या फर्क है? आइए समझते हैं.
बैंक एफडी में आप एक निश्चित अवधि के लिए पैसा जमा करते हैं और उस पर ब्याज मिलता है. यह सुरक्षित और स्थिर रिटर्न देता है.
डिबेंचर एक ऋण उपकरण है जिसमें कंपनियां निवेशकों से पैसा उधार लेकर ब्याज का भुगतान करती हैं. यह एफडी की तुलना में अधिक रिटर्न दे सकता है.
यह सुरक्षित होता है और बैंकिंग नियामक द्वारा संरक्षित होता है. यह उन निवेशकों के लिए सही है जो जोखिम नहीं लेना चाहते.
यह एफडी की तुलना में अधिक ब्याज दर दे सकता है. यदि सही कंपनी चुनी जाए तो अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं.
बैंक एफडी में जोखिम कम होता है, जबकि डिबेंचर में क्रेडिट रिस्क होता है यानी कंपनी के डिफॉल्ट का खतरा.
एफडी में फिक्स्ड रिटर्न मिलता है, जबकि डिबेंचर में ब्याज दर अधिक हो सकती है, लेकिन जोखिम भी अधिक होता है.
बैंक एफडी को समय से पहले तोड़ा जा सकता है, लेकिन डिबेंचर को बाजार में बेचना पड़ता है, जो आसान नहीं हो सकता.
एफडी का ब्याज आपकी आय में जुड़कर टैक्स के तहत आता है, जबकि डिबेंचर पर टैक्स नियम अलग-अलग हो सकते हैं.
अगर सुरक्षा और स्थिरता चाहिए तो बैंक एफडी बेहतर है. अगर आप थोड़ा जोखिम उठा सकते हैं तो डिबेंचर सोच सकते हैं.
यह जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें.