क्या 50-30-20 रूल हर किसी के लिए सही है?

Published on: 29th May 2025

म्यूचुअल फ़ंड निवेश: CAGR और एब्सोल्यूट रिटर्न क्या होता है? निवेश की दुनिया में सही फै़सले लेने के लिए जानिए CAGR और एब्सोल्यूट रिटर्न की असल बात 

निवेश में रिटर्न समझना जरूरी है!

जब आप म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करते हैं, तो रिटर्न के आंकड़े आपको भटकाते हैं. क्या आप जानते हैं - "50% रिटर्न" का मतलब क्या होता है?

CAGR क्या है?

CAGR = Compound Annual Growth Rate यह बताता है कि आपका निवेश हर साल औसतन कितने प्रतिशत बढ़ा. यह लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए सबसे अच्छा तरीका है.

CAGR का फॉर्मूला

CAGR = [(अंतिम राशि / शुरुआती राशि) ^ (1/सालों की संख्या) - 1] × 100 उदाहरण: ₹50,000 निवेश → 3 साल बाद ₹70,000 तो CAGR = 11.86% (हर साल औसतन बढ़ोतरी)

एब्सोल्यूट रिटर्न क्या है? 

यह दिखाता है कि आपके निवेश ने कुल मिलाकर कितना मुनाफा या नुकसान किया. टाइम पीरियड की परवाह नहीं करता.

एब्सोल्यूट रिटर्न का फॉर्मूला 

[(अंतिम राशि / शुरुआती राशि) - 1] × 100 उदाहरण: ₹1,00,000 निवेश → 8 महीने में ₹1,30,000 तो एब्सोल्यूट रिटर्न = 30%

CAGR और एब्सोल्यूट रिटर्न में अंतर 

– समय की भूमिका: – CAGR: सालाना एवरेज ग्रोथ बताता है – एब्सोल्यूट रिटर्न: कुल मुनाफा, बिना समय देखे – उपयोग: – CAGR: लॉन्ग-टर्म निवेश तुलना – एब्सोल्यूट: शॉर्ट-टर्म प्रदर्शन

कौन सा बेहतर है?

– अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं → CAGR देखें. अगर शॉर्ट-टर्म रिटर्न जानना है → एब्सोल्यूट रिटर्न देखें.

उदाहरण से समझें 

फ़ंड A: 3 साल में 40% एब्सोल्यूट रिटर्न फ़ंड B: 1 साल में 20% एब्सोल्यूट रिटर्न CAGR के हिसाब से, फ़ंड B बेहतर हो सकता है क्योंकि उसने कम समय में अच्छा रिटर्न दिया.

निवेश करते वक्त ध्यान रखें

– रिटर्न को समझें, सिर्फ बड़ी संख्या पर मत फंसें. – समय और रिटर्न दोनों को समझकर ही निर्णय लें. – स्मार्ट निवेश = सही जानकारी + सही प्लानिंग

Disclaimer

ये पोस्ट सिर्फ़ जानकारी के लिए है. इसे निवेश सलाह न समझें. किसी भी निवेश के फ़ैसले से पहले एक्सपर्ट से सलाह ज़रूर लें.