उठा-पटक वाले मार्केट में प्राइस के ऊपर-नीचे होने का जुनून हावी होने देंगे तो भटक जाएंगे
निवेश में, कम प्राइस, स्टॉक ख़रीदने की सही वजह होती है और हाई प्राइस बेचने का अच्छा कारण हो सकता है. मगर, ये ‘ऊंचा’ या ‘कम’ होना कोई अंतिम वाक्य नहीं है जिसके आगे-पीछे कोई किंतु-परंतु हो ही न.
कम प्राइस के स्टॉक का ये आकर्षण इतना गहरा है कि इसके लिए ख़ासतौर पर रिसर्च टूल्स और वेबसाइट बनाई गई हैं जो उन्हें फिल्टर करने का काम करती हैं. लगता है इसमें किसी फ़ंडामेंटल अनालेसिस की ज़रूरत ही नहीं है.
प्राइस किसी संदर्भ में ही मायने रखता है, अब वो संदर्भ कंपनी की बुनियादी बातें हो सकते हैं, संभावनाएं हो सकती हैं या फिर पूरे मार्केट की स्थिति हो सकती है. ज़्यादा उतार-चढ़ाव वाले मार्केट में निवेश को सही बनाए रखना ज़रूरी है.