क्या 50-30-20 रूल हर किसी के लिए सही है?

Published on: 29th May 2025

कितने इंडेक्स फ़ंड्स में निवेश करें? समझिए सही स्ट्रैटेजी इंडेक्स फ़ंड्स का चुनाव करें समझदारी से, न कि ज़्यादा निवेश से.

इंडेक्स फंड्स क्या हैं?

– ये ऐसे फंड हैं जो मार्केट के किसी बड़े इंडेक्स को फॉलो करते हैं. – जैसे निफ्टी 50, सेंसेक्स. – ये लो कॉस्ट और ट्रांसपेरेंट होते हैं.

शुरुआती निवेशक करते हैं ये गलती 

₹1 लाख को कई इंडेक्स फंड्स में बांटना ताकि ज़्यादा डायवर्सिफिकेशन हो. पर क्या ऐसा करना सचमुच फायदेमंद है?

जब वैरायटी बन जाती है रिपीटिशन

– ज़्यादातर इंडेक्स फंड्स एक जैसे स्टॉक्स को ट्रैक करते हैं. – निफ्टी 50, सेंसेक्स और निफ्टी 100 में लगभग 83-85% स्टॉक्स समान हैं. – मतलब, तीनों में निवेश करने से आपका पोर्टफोलियो ज्यादा डायवर्सिफाइड नहीं होगा.

कितने इंडेक्स फंड्स ज़रूरी हैं?

– नंबर नहीं, बल्कि इंडेक्स फंड्स का नेचर मायने रखता है. – अलग-अलग मार्केट सेगमेंट्स वाले फंड्स चुनें — जैसे मिड-कैप, स्मॉल-कैप, ग्लोबल. – सिर्फ नाम या बेंचमार्क अलग होने से डायवर्सिफिकेशन नहीं होता.

निवेश से पहले यह चेक करें:

– क्या ये फंड मार्केट का अलग हिस्सा ट्रैक करता है? – क्या इसका ओवरलैप मेरे मौजूदा पोर्टफोलियो से कम है? – क्या इसका रिस्क-रिटर्न प्रोफाइल अलग और बेहतर है?

ध्यान दें! 

इंडेक्स इनवेस्टिंग की ताक़त है इसकी सादगी. ज़्यादा फंड्स जमा करने से सादगी खत्म हो जाती है. जब स्टॉक्स एक जैसे हों, तो डायवर्सिफिकेशन भी केवल दिखावा बन जाता है.

क्या होगा अगर ज़्यादा इंडेक्स फंड्स में निवेश करें?

– पोर्टफोलियो में असली डायवर्सिफिकेशन नहीं होगा. – जोखिम एक जैसे स्टॉक्स पर बढ़ेगा. – मैनेजमेंट जटिल और भ्रमित करने वाला होगा.

बेहतर तरीका क्या है?

– कुछ ऐसे इंडेक्स फंड्स चुनें जो एक-दूसरे को पूरा करें. – मिड-कैप, स्मॉल-कैप, ग्लोबल जैसे सेगमेंट्स में अलग-अलग निवेश करें. – इस तरह आपको मिलेगा रियल डायवर्सिफिकेशन और संतुलित पोर्टफोलियो.

Disclaimer

ये पोस्ट सिर्फ़ जानकारी के लिए है. इसे निवेश सलाह न समझें. किसी भी निवेश के फ़ैसले से पहले एक्सपर्ट से सलाह ज़रूर लें.