क्या आपने कभी सोचा है कि म्यूचुअल फ़ंड से 25% रिटर्न कैसे मिलता है?बहुत लोग वैल्यू रिसर्च पर यही सवाल करते हैं.लेकिन क्या ये सच में इतना आसान है?
एक साल के रिटर्न को देखकर मत झुकिए
म्यूचुअल फ़ंड के पेज पर 35%, 40%, या 20% का रिटर्न देखकर निवेश करना शुरू कर देना अक्सर गलत साबित होता है.क्यों? क्योंकि ये रिटर्न हर साल एक जैसे नहीं होते.
"बेस्ट" कुछ नहीं होता..!
रिटर्न का चक्र (Fluctuation) समझना जरूरी है
किसी साल बहुत ज़्यादा रिटर्न मिल सकता है, तो किसी साल नुकसान भी हो सकता है.यह चक्र आपको लंबे समय में समझना होगा.
लॉन्ग टर्म निवेश में है असली मज़ा
म्यूचुअल फ़ंड में अगर आप लंबे समय तक निवेश करते हैं तोरिटर्न ज़्यादा स्थिर और बेहतर हो सकता है.पैसे लगाने के साथ-साथ रिस्क समझना बहुत ज़रूरी है.
25% रिटर्न की लालच में ना पड़ें
अगर कोई म्यूचुअल फ़ंड हर साल 25% रिटर्न दे रहा है, तो उसमें जोखिम भी ज़्यादा होगा.इसलिए निवेश करते समय रिटर्न के साथ रिस्क भी समझें.
म्यूचुअल फ़ंड में रिटर्न कैसे आता है?
– मार्केट के उतार-चढ़ाव के कारण
– कंपनियों के प्रदर्शन पर निर्भर
इक्विटी, डेट, और अन्य असेट क्लास के मिश्रण से
डाइवर्सिफिकेशन से होता है रिस्क कंट्रोल
अपने निवेश को अलग-अलग फंड और सेक्टर्स में बांटना जरूरी है.इससे नुकसान की संभावना कम होती है.
सही योजना बनाएं और नियमित निवेश करें
SIP (Systematic Investment Plan) के जरिएधीरे-धीरे बेहतर रिटर्न हासिल किया जा सकता है.
धैर्य रखें, निवेश एक लंबा सफर है
रिटर्न के चक्कर में जल्दबाज़ी न करें.लंबे समय तक निवेश करें और समय-समय पर पोर्टफोलियो की समीक्षा करें.