Published on: 15th May 2025
– ये ऐसे फंड्स हैं जो इक्विटी (शेयर) और डेट (बॉन्ड/फिक्स्ड इनकम) दोनों में निवेश करते हैं. – इसका मकसद है निवेश में अच्छा रिटर्न और रिस्क का संतुलन बनाए रखना.
– इक्विटी से होती है ग्रोथ की उम्मीद. – डेट से मिलती है स्थिरता और कम जोखिम. – दोनों का सही मिश्रण आपकी पूंजी को सुरक्षित रखते हुए बढ़ाता है.
– Aggressive Hybrid Funds: 65% से ज्यादा इक्विटी में निवेश. – Conservative Hybrid Funds: 25-50% इक्विटी, बाकी डेट. – Balanced Hybrid Funds: लगभग 50-60% इक्विटी, बाकी डेट.
– diversification से जोखिम कम होता है. – अलग-अलग मार्केट साइकल में बेहतर प्रदर्शन. – इक्विटी और डेट दोनों की ताकत एक साथ.
– एक्सपेंस रेशियो: ज्यादा फीस रिटर्न खा सकती है. – मार्केट जोखिम: इक्विटी हिस्सा उतार-चढ़ाव लाता है. – होल्डिंग पीरियड: लंबा हो तो बेहतर रिटर्न की संभावना.
– जो चाहते हैं मध्यम रिस्क के साथ संतुलित रिटर्न. – नए निवेशक जो सीधे इक्विटी में जाना नहीं चाहते. – जो चाहते हैं एक फंड में इक्विटी और डेट का सही मिश्रण.
– इक्विटी हिस्सा पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स 10% (1 लाख तक टैक्स फ्री). – डेट हिस्सा पर LTCG टैक्स स्लैब के अनुसार. – टैक्स प्लानिंग के लिए होल्डिंग पीरियड मायने रखता है.
– फंड के प्रदर्शन का ऐतिहासिक डेटा देखें. – एक्सपेंस रेशियो कम हो. – फंड मैनेजर की योग्यता और अनुभव जांचें. आपकी रिस्क प्रोफ़ाइल और निवेश लक्ष्य के अनुसार चुनाव करें.
– SIP (Systematic Investment Plan) से निवेश करें, ताकि मार्केट उतार-चढ़ाव का प्रभाव कम हो. – लंबी अवधि तक निवेश करें. – नियमित रिव्यू और जरूरत पड़ने पर रिबैलेंसिंग करें.
हाइब्रिड फंड्स एक अच्छा विकल्प हैं जो इक्विटी की बढ़त और डेट की सुरक्षा को एक साथ लेकर आते हैं. लेकिन सही चुनाव और धैर्य से ही बेहतर नतीजे मिलते हैं.
ये पोस्ट सिर्फ़ जानकारी के लिए है. इसे निवेश सलाह न समझें. किसी भी निवेश के फ़ैसले से पहले एक्सपर्ट से सलाह ज़रूर लें.