Published: 08th Jan 2025
आपने सुना होगा, डूबते जहाज़ से चूहे सबसे पहले कूदते हैं. लेकिन जब बात इक्विटी निवेश की हो, तो गिरता बाज़ार असल में एक मौक़ा हो सकता है.
मैं इक्विटी में निवेश करना चाहता हूं, लेकिन बाज़ार की गिरावट के कारण हिम्मत नहीं कर पा रहा. मुझे क्या करना चाहिए? असल में, डर स्वाभाविक है लेकिन सही जानकारी आपको आत्मविश्वास दे सकती है.
किसी भी रिकॉर्ड को खंगालें, बड़ी गिरावट के बाद सेंसेक्स ने हमेशा "हाउज़ द जोश?" वाले अंदाज में वापसी की है. उदाहरण के लिए: 2009 की 61% गिरावट के बाद भी मार्केट ने ऐसा कमबैक मारा कि निवेशक इस उछाल से मुनाफ़े के गीत गा रहे थे.
गिरावट का एक बड़ा फ़ायदा ये है कि आपको सस्ते में ख़रीदने का मौक़ा मिलता है. यानि, जब बाज़ार नीचे होता है तो शेयर और म्यूचुअल फ़ंड यूनिट सस्ती हो जाती हैं. अब आप कम पैसे में ज़्यादा यूनिट ख़रीद सकते हैं. और जब मार्केट फिर से उछलेगा, तो मुनाफ़ा दोगुना हो जाएगा.
आप जितनी जल्दी निवेश की शुरुआत करेंगे और लंबे समय तक निवेश में टिके रहने से कंपाउंडिंग का फ़ायदा मिलता है. जो लोग गिरावट के समय भी निवेश जारी रखते हैं उनके लिए कंपाउंडिंग शानदार मुनाफ़ा लेकर आती है. याद रखें, बज़ार में टाइम बिताना, टाइमिंग से बेहतर है.
अभी छोटी रक़म से SIP की शुरुआत करें. ये सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान आपके निवेश को 'बाज़ार के उतार-चढ़ाव का स्वैग' देगा और आपकी लागत को औसत करेगा. लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के बारे में विचार करें.
गिरते बाज़ार में घबराएं नहीं डर पर काबू पाएं, अनुशासन से निवेश करें और लंबे समय तक बाज़ार में बने रहें. याद रखें, बड़ी गिरावट के बाद ही बड़ा मुनाफ़ा आता है. ज़्यादा जानकारी के लिए लास्ट स्लाइड में दिए गए स्टोरी लिंक पर क्लिक करें.
इस लेख का उद्देश्य निवेश की जानकारियां देना है. ये निवेश की सलाह नहीं है. निवेश से पहले पूरी रिसर्च करें. इस विषय पर डिटेल जानकारियों के लिए अगली स्लाइड पर दिए लिंक पर क्लिक करें.