Published: 27th Jan 2025
"दोस्त, क्या म्यूचुअल फ़ंड से क़माया पैसा शेयर बाज़ार में हुए नुकसान को कम करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है?" चिंता मत करो, इसका जवाब आसान है – हां, लेकिन सही तरीके से!
शॉर्ट टर्म मतलब 12 महीनों के अंदर ख़रीदी-बिक्री की गई संपत्ति. लॉन्ग टर्म मतलब 12 महीने के बाद बेंचा गया निवेश. दोनों पर टैक्स के अलग-अलग नियम होते हैं.
अगर आपने 12 महीनों के अंदर स्टॉक्स बेचे और नुक़सान हुआ तो इसे आप म्यूचुअल फ़ंड या स्टॉक के किसी भी कैपिटल गेन से सेट कर सकते हैं. और अगर तुरंत फ़ायदा नहीं हुआ, तो इसे 8 साल तक आगे ले जा सकते हैं.
अगर 12 महीने से ज़्यादा समय तक निवेश रखा और नुक़सान हुआ तो इसकी भरपाई सिर्फ़ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से ही हो सकती है. इसे भी 8 साल तक आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे – समय पर रिटर्न फ़ाइल करना ज़रूरी है.
शॉर्ट टर्म गेन पर सीधा 20% टैक्स लगता है, जबकि लॉन्ग टर्म गेन पर सिर्फ़ 12.5%. अच्छी ख़बर यह है कि लॉन्ग टर्म गेन में ₹1.25 लाख तक के मुनाफे़ पर कोई टैक्स नहीं लगता.
1. म्यूचुअल फ़ंड और शेयर में अंतर समझो. 2. सिर्फ टैक्स बचाने के लिए घबराकर कुछ मत बेचो. 3. हर साल 31 जुलाई से पहले इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करो.
टैक्स प्लानिंग एक लंबी रेस है, फ़टाफ़ट निपटाने का काम नहीं. सही तरीके़ से प्लान बनाओ, नुक़सान को 8 साल तक इस्तेमाल करने का ऑप्शन हमेशा खुला रहता है.
इस लेख का उद्देश्य निवेश की जानकारियां देना है. ये निवेश की सलाह नहीं है.