म्यूचुअल फंड vs ETF: कौन सा निवेश विकल्प बेहतर है? जानिए आसान भाषा में

म्यूचुअल फंड vs ETF: कौन सा निवेश विकल्प बेहतर है? जानिए आसान भाषा में

Published: 2th Jan 2025

पैसा कहां लगाएं?

आजकल लोग अपने पैसे को सही तरीके़ से इन्वेस्ट करने के लिए म्यूचुअल फ़ंड और ETF के बारे में ज़्यादा जानने लगे हैं. लेकिन दोनों में से कौन सा बेहतर है? इस सवाल का जवाब आसान भाषा में समझते हैं ताकि आप सही फ़ैसला ले सकें.

म्यूचुअल फ़ंड की जर्नी

भारत में म्यूचुअल फ़ंड की शुरुआत 1963 में हुई थी, जब यूनिट ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया (UTI) ने पहला फ़ंड लॉन्च किया. 90 के दशक में प्राइवेट कंपनियों को इसमें प्रवेश मिला, जिससे निवेशकों को ज़्यादा विकल्प मिलने लगे. इसके बाद से ही ये तेज़ी से बढ़ने लगा और आज हर दूसरा निवेशक म्यूचुअल फ़ंड को जानता और समझता है.

ETF की कहानी

ETF यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फ़ंड्स की शुरुआत भारत में 2001 में हुई थी, जब पहला निफ़्टी 50 ETF लॉन्च किया गया. ETF एक ऐसा इन्वेस्टमेंट विकल्प है, जो स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होता है और इंडेक्स को ट्रैक करता है. यह उन निवेशकों के लिए अच्छा है जो ट्रेडिंग और फ्लेक्सिबिलिटी को प्राथमिकता देते हैं.

म्यूचुअल फ़ंड के फ़ायदे

म्यूचुअल फ़ंड में निवेश का सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि आपके पैसे को अनुभवी फ़ंड मैनेजर्स संभालते हैं. इसमें निवेश करने के लिए SIP का विकल्प मिलता है, जिससे आप छोटे-छोटे अमाउंट में निवेश कर सकते हैं.

ETF क्यों है खास?

ETF की सबसे बड़ी ख़ासियत इसकी कम लागत और ट्रांसपेरेंसी है. इसमें निवेशकों को पूरे पोर्टफ़ोलियो  की डिटेल्स मिलती हैं, जिससे वो अपनी इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी को बेहतर तरीके़ से समझ सकते हैं. ETF स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होता है, इसलिए आप इसे किसी भी समय ख़रीद और बेंच सकते हैं.

म्यूचुअल फ़ंड vs ETF

म्यूचुअल फ़ंड और ETF दोनों के अपने फ़ायदे और नुक़सान हैं. म्यूचुअल फ़ंड में आपको प्रोफे़शनल मैनेजमेंट और SIP जैसी सुविधाएं मिलती हैं, जो निवेश को आसान बनाती हैं. दूसरी ओर, ETF कम लागत और ज़्यादा फ्लेक्सिबिलिटी के साथ आता है, जो निवेशकों को अपने हिसाब से इन्वेस्टमेंट को मैनेज करने की सुविधा देता है.

कहां करें इन्वेस्ट?

अगर आप रेगुलर सेविंग्स करना चाहते हैं और निवेश को आसान बनाना चाहते हैं तो म्यूचुअल फ़ंड सही विकल्प हो सकता है. वहीं, अगर आप मार्केट ट्रेंड्स को समझते हैं और लो-कॉस्ट, हाई-फ्लेक्सिबिलिटी चाहते हैं तो ETF आपके लिए बेहतर हो सकता है.

ध्यान रखें!

इन्वेस्टमेंट में जल्दबाज़ी न करें. अपने फ़िइनेंशियल गोल को तय करें और रिस्क फै़क्टर्स को समझें. निवेश से पहले अच्छी तरह रिसर्च करें और सही चुनाव करें. धैर्य के साथ ग्रोथ के लिए इन्वेस्ट करें.

Disclaimer

यह जानकारी सिर्फ एजुकेशनल मकसद के लिए है. निवेश से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. शेयर बाजार में जोखिम होते हैं, सतर्कता से निवेश करें.

ऐसी और अधिक मूल्यवान जानकारी प्राप्त करने के लिए, Value Research Dhanak पढ़ते रहें।

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