क्या 50-30-20 रूल हर किसी के लिए सही है?

Published on: 13th May 2025

NAV कम है? ये सस्ता नहीं है, बस नया है! एक जैसा इंडेक्स पर अलग-अलग NAV जानिए इसके पीछे का पूरा फ़ंडा

NAV कम दिखा, तो सस्ता समझा?

नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है! दो फ़ंड्स, एक ही इंडेक्स, फिर NAV में इतना फर्क क्यों?

NAV होता क्या है?

– NAV = Net Asset Value – किसी भी फ़ंड की एक यूनिट की क़ीमत – दिन के अंत में फ़ंड के सभी एसेट्स का वैल्यू – ख़र्चे = कुल नेट वैल्यू – फिर इसे यूनिट्स की संख्या से divide करते हैं 👉 यही है NAV!

पुराना फ़ंड vs नया फ़ंड — फर्क कहां है?

– पुराना फ़ंड: मार्च 2000 से मार्केट में – NAV: ₹167.10 – नया फ़ंड: लॉन्च हुआ अक्टूबर 2024 में – NAV: ₹10.01 समझने की बात: जितना पुराना, उतना compounding का फायदा

एक कहानी से समझिए

दो दोस्त सेविंग शुरू करते हैं — एक 25 साल पहले, दूसरा पिछले साल जो पहले शुरू करता है, उसका पैसा ज़्यादा grow करता है Same with mutual funds!

कम NAV का मतलब सस्ता? Nope!

– कम NAV = नया फ़ंड ज़्यादा NAV = पुराना फ़ंड 📌 दोनों में quality का कोई सीधा लिंक नहीं

₹10,000 का निवेश — क्या फर्क पड़ेगा?

– NAV ₹167.10 → 59.8 यूनिट NAV ₹10.01 → 999 यूनिट 💭 यूनिट्स भले ज़्यादा या कम हों, पर रिटर्न इंडेक्स से तय होता है

Return matters, not NAV

– Nifty 50 ने मार्च 2025 में दिया 6.3% का return फ़ंड ने अगर सही से ट्रैक किया — ₹10,000 → ₹10,630 चाहे 59 यूनिट हों या 999!

तो क्या देखना चाहिए?

✅ फ़ंड कितनी बारीकी से इंडेक्स को ट्रैक करता है ✅ Tracking error कम हो ✅ Expense ratio सही हो ❌ सिर्फ NAV देखना बेकार है

Disclaimer

ये पोस्ट सिर्फ़ जानकारी के लिए है. इसे निवेश सलाह न समझें. किसी भी निवेश के फ़ैसले से पहले एक्सपर्ट से सलाह ज़रूर लें.