Published: 21st Jan 2025
सोचा है कि शेयर बाजार की सेहत कैसी है? इसका जवाब सेंसेक्स देता है! इसे "Stock Exchange Sensitive Index" कहा जाता है, जिसमें BSE की टॉप 30 कंपनियां शामिल होती हैं.
1986 में सेंसेक्स लॉन्च हुआ और तब से यह बाजार के उतार-चढ़ाव को दर्शा रहा है. पहले ट्रेडिंग मैन्युअल होती थी, लेकिन 1995 में BSE डिजिटल हो गया, जिससे काम आसान हुआ.
यह "फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन" पर आधारित है. मतलब? जितने ज़्यादा लोग किसी कंपनी के शेयर ख़रीदते हैं, उतना ही सेंसेक्स ऊपर जाता है.
रिलायंस, TCS, और HDFC बैंक जैसी 30 बड़ी कंपनियां इस इंडेक्स का हिस्सा हैं. BSE हर 6 महीने में इनकी परफॉर्मेंस रिव्यू करता है और बदलाव कर सकता है.
ये मार्केट की सेहत बताता है, पारदर्शी होता है, और आपको निवेश के सही मौके पहचानने में मदद करता है. साथ ही, ये अलग-अलग सेक्टर्स को कवर करता है.
सिर्फ 30 कंपनियां इसमें होती हैं, जिससे पूरा मार्केट इसमें नहीं दिखता. तेज़ी से बदलता सेंसेक्स कभी-कभी छोटे निवेशकों को डरा सकता है.
सेंसेक्स BSE का इंडेक्स है और निफ्टी NSE का. सेंसेक्स में 30 कंपनियां हैं जबकि निफ्टी में 50. निफ्टी का कवरेज ज़्यादा व्यापक है.
इंडेक्स फंड्स, ETFs, या सीधे स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं. SIP के जरिए धीरे-धीरे निवेश करना भी अच्छा ऑप्शन हो सकता है.
ये पोस्ट सिर्फ़ निवेश की जानकारी के लिए है. निवेश से पहले एक्सपर्ट की सलाह ज़रूर लें!