Published on: 28th May 2025
– AUM यानी Assets Under Management – म्यूचुअल फ़ंड के पास कुल कितना पैसा निवेशक ने दिया है – बड़ा AUM फ़ंड की ताक़त भी है, लेकिन साथ ही कुछ समस्याएं भी लेकर आता है
– स्मॉल और मंझले आकार की कंपनियों में निवेश – ज्यादा निवेश आइडिया चाहिए क्योंकि स्मॉल शेयर ज़्यादा होते हैं – लार्ज-कैप के मुक़ाबले मैनेज करना मुश्किल
– स्मॉल कैप कंपनियों में बड़े लेन-देन से मार्केट इम्पैक्ट होता है – कुछ कंपनियों में 5% से ज़्यादा हिस्सेदारी लेना और बेचना मुश्किल – ज्यादा AUM = ज़्यादा निवेश के लिए नई कंपनियां खोजनी पड़ती हैं
– AUM बढ़ने से लिक्विडिटी की प्रॉब्लम होती है – बड़े फ़ंड को पॉर्टफ़ोलियो में ज़्यादा कंपनियां शामिल करनी पड़ती हैं – पर हर छोटी कंपनी में निवेश करना आसान नहीं होता
– जब फ़ंड अच्छा प्रदर्शन करता है तो निवेशक ज़्यादा पैसा डालते हैं – बड़ा AUM फ़ंड के लिए चुनौती बन जाता है – प्रदर्शन पर निगेटिव असर हो सकता है
– लार्ज-कैप में लिक्विडिटी ज़्यादा होती है, मार्केट में आसानी से ट्रेडिंग होती है – आमतौर पर टॉप 100 कंपनियां होती हैं, इसलिए चुनना आसान – स्मॉल-कैप के मुक़ाबले मैनेज करना सरल
– स्मॉल कैप में निवेश करते समय फ़ंड का साइज़ देखें – बहुत बड़े AUM वाले स्मॉल-कैप फ़ंड में जोखिम बढ़ सकता है – डाइवर्सिफ़ाइड फ़ंड चुनें जो अच्छी मैनेजमेंट करते हों
– बड़ा AUM सिर्फ़ ताकत नहीं, साथ में चुनौती भी लाता है – निवेश के लिए सही जानकारी और समझ ज़रूरी है – हमेशा फ़ंड की स्ट्रैटेजी और साइज़ पर ध्यान दें