Published: 23rd Sep 2024
लगभग दो दशकों से हम वैल्यू इन्वेस्टिंग प्रिंसिपल के बड़े पक्षधर रहे हैं, जिनमें लंबे समय का निवेश ज़रूरी है.
दशकों से हम भारतीय म्यूचुअल फ़ंड से जुड़ी हर चीज़ के लिए जाने जाते रहे हैं. लेकिन, हमारी इक्विटी रिसर्च की क्षमताएं भी मज़बूत हैं. इसकी वजह ये है कि इक्विटी म्यूचुअल फ़ंड को समझने का यही तरीक़ा है.
ज़्यादातर निवेशक, निवेश के लिए बेहद शॉर्ट-टर्म और मोमेंटम वाला नज़रिया रखते हैं. असल में, ये लोग मानते हैं कि इक्विटी निवेश का मतलब ही लगातार और अति सक्रिय ट्रेडिंग करना है.
ज़्यादातर भारतीय सिर्फ़ फ़िक्स्ड डिपॉज़िट, रियल एस्टेट और सोना ख़रीदने को निवेश समझते हैं. और, मार्केट से जुड़े लोग मानते हैं कि बाज़ार में असली पैसे कमाने का तरीक़ा ट्रेडिंग है. पर मार्केट से जुड़े लोग ऐसा क्यों सोचते हैं?
इसकी एक वजह इन्वेस्टमेंट इंडस्ट्री की मार्केटिंग मशीन है. नए कस्टमर अक्सर ऐसे प्रोडक्ट के जाल में फंस जाते हैं जिसकी मार्केटिंग सबसे आक्रामक होती है. और, बेचने वाले सबसे आक्रामक उसी के लिए होते हैं जहां उन्हें सबसे ज़्यादा कमीशन मिलता है.
वैल्यू रिसर्च में हमारा नज़रिया नपा-तुला रहता है, जिसमें लॉन्ग-टर्म निवेश का नज़रिया अहम है. इक्विटी मार्केट का अच्छा समय रोलर-कोस्टर के उतार-चढ़ाव जैसा है. इसमें निवेशकों को उथल-पुथल में स्थिरता खोजनी चाहिए.
अगर आप हमारा नज़रिया फ़ॉलो करते हैं तो निवेश चुनना मुश्किल नहीं है. निवेश को वैल्यू इन्वेस्टिंग के सिद्धांतों, पैसे जोड़ने के अपने गोल, उम्मीदों और सीमाओं को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए.