Published: 03rd Dec 2024
SIP छोटी रक़म से बड़ी वेल्थ तैयार करने का एक अच्छा ज़रिया है. वहीं, स्मार्ट SIP को सामान्य SIP का इनोवेटिव तरीक़ा कहा जाता है. लेकिन, क्या इसमें निवेश करना सही है?
स्मार्ट SIP, सामान्य यानी रेगुलर SIP की इनोवेटिव ब्रांच है. ये स्मार्ट है क्योंकि हर महीने इक्विटी में आप कितना पैसा इन्वेस्ट करते हैं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि मार्केट कैसा परफ़ॉर्म कर रहा है. यानी, ये अपने निवेश में ज़्यादा लचीली होती है और इसमें निवेश के फ़ैसले मार्केट को देख कर लिए जाते हैं.
दरअसल, एक एल्गोरिदम के आधार पर अगर मार्केट की वैल्यू काफ़ी ज़्यादा लगती है, तो फिर आपके SIP अमाउंट का केवल एक हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाता है. बाक़ी हिस्सा, लिक्विड फ़ंड में भेज दिया जाता है जो एक तरह का डेट फ़ंड है. अगर कंपनी के स्टॉक सस्ते हैं, तो इक्विटी में ज़्यादा पैसा निवेश किया जाता है.
इसे समझें, तो ये एक फ़ायदेमंद स्ट्रैटेजी लगती है. इक्विटी के महंगे होने पर आप उसमें कम और डेट फ़ंड में ज़्यादा निवेश करते हैं. लेकिन इसमें, कोई भी, हमेशा और लगातार सही नहीं हो सकता.
सामान्य SIP असल में मार्केट को टाइम करने (अंदाज़ा लगाने) की समस्या का हल है. इसमें, आप बाज़ार में निवेश जारी रखते हैं, फिर चाहे वैल्यू महंगी हो या सस्ती. लगातार चलने वाली SIP से लागत को औसत पर लाने में मदद करती है. तो, हमारा सुझाव है कि आप अपनी रेगुलर SIP जारी रखें और अपने निवेश को सरल रखें.