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दो इंडेक्स जो दिखने में एक जैसे हैं. बस एक छोटा-सा फ़र्क है. और, 10 साल में बिल्कुल अलग नतीजे हैं.
सोचिए, अगर कोई कहे कि एक ही 500 शेयरों वाले दो इंडेक्स बिल्कुल अलग दिख सकते हैं और अलग काम कर सकते हैं. तो क्या करेंगे?
जब आप निफ़्टी 500 की तुलना निफ़्टी 500 मल्टीकैप 50:25:25 से करते हैं तो ठीक यही होता है.
दोनों ही इंडेक्स भारत की टॉप 500 कंपनियों के शेयरों का फ़ायदा उठाते हैं. लेकिन निफ़्टी 500 लार्ज कैप शेयरों पर ज़्यादा ध्यान देता है. वहीं, मल्टीकैप इंडेक्स मिड और स्मॉल कैप शेयरों को भी बराबर मौक़ा देता है.
तो, क्या ये नियम आधारित बदलाव मल्टीकैप इंडेक्स को बेहतर बनाता है? आइए जानें.
कंपनियां वही, तरीक़ा अलग
दोनों इंडेक्स भारत की 500 सबसे बड़ी कंपनियों के शेयर चुनते हैं, लेकिन इनका बांटने का तरीक़ा अलग है.
निफ़्टी 500 के साथ, ऐसा कोई नियम नहीं है कि कितने लार्ज कैप, मिड या स्मॉल कैप शेयर होंगे. अभी इसमें क़रीब 75% लार्ज कैप शेयर, 17% मिड शेयर और सिर्फ़ 8% स्मॉल कैप शेयर हैं.
लेकिन निफ़्टी 500 मल्टीकैप 50:25:25 अलग ढंग से काम करता है. ये वेटेज को फ़िक्स रखता है: हमेशा 50% लार्ज कैप शेयर, 25% मिड कैप शेयर और 25% स्मॉल कैप शेयर.
दोनों इंडेक्स के स्ट्रक्चर को देखते हुए, आइए अब दोनों इंडेक्स के टॉप पांच सेक्टर्स के वेटेज की तुलना करें और कि क्या उनमें कोई बड़ा अंतर है.
टॉप 5 सेक्टर्स के वेटेज की तुलना (%)
सेक्टर | निफ़्टी मल्टीकैप | निफ़्टी 500 |
---|---|---|
फ़ाइनेंशियल सर्विसेज | 28.38 | 31.25 |
कैपिटल गुड्स | 8.63 | 5.99 |
हैल्थकेयर | 8.05 | 6.21 |
टेक्नोलॉजी | 7.66 | 8.63 |
तेल, गैस और ईंधन | 6.24 | 7.84 |
आंकड़े 31 मई 2025 तक |
दोनों इंडेक्स फ़ाइनेंशियल सर्विसेज को बहुत पसंद करते हैं और इसमें बड़ा हिस्सा लगाते हैं, लेकिन मल्टीकैप बाक़ी सेक्टर्स में वेटेज को ज़्यादा बराबर बांटता है.
साथ ही, दोनों इंडेक्स में टॉप 10 शेयर एक जैसे हैं, लेकिन उनका हिस्सा अलग है. निफ़्टी 500 में टॉप 10 शेयर 34% जगह लेते हैं, जबकि मल्टीकैप में ये सिर्फ़ 23% हैं, जो इसे और बेहतर बनाता है.
क्या ये फ़र्क सचमुच काम करता है?
अब देखते हैं कि वेटेज में ये बदलाव कितना फ़ायदा देते हैं.
बीते दस साल में पांच साल के रोलिंग रिटर्न को देखते हुए, निफ़्टी 500 मल्टीकैप ने 70% बार निफ़्टी 500 को पीछे छोड़ा, औसतन 1.4% ज़्यादा फ़ायदा दिया. लंबे समय में ये बड़ा फ़र्क है. इस बेहतर प्रदर्शन को नीचे दिए गए ग्राफ में भी देखा जा सकता है.

ये फ़र्क क्यों? जवाब आसान है - मल्टीकैप इंडेक्स में मिड और स्मॉल कैप शेयर ज़्यादा हैं, और इनका प्रदर्शन समय के साथ बेहतर रहा है. पिछले 10 साल (5 साल के रोलिंग रिटर्न) में:
- निफ़्टी 100 TRI ने क़रीब 13.3% फ़ायदा दिया
- निफ़्टी मिडकैप 150 TRI ने क़रीब 18.3% फ़ायदा दिया
- निफ़्टी स्मॉलकैप 250 TRI ने 15.6% फ़ायदा दिया
इस प्रकार, मल्टीकैप इंडेक्स में तेज़ी से बढ़ने वाले मिड और स्मॉल कैप शेयर ज़्यादा हैं, इसका फ़ायदा भी ज़्यादा रहा है.
तेज़ी और मंदी का खेल
लंबे समय तक अच्छा फ़ायदा आसानी से नहीं मिलता, खासकर जब पोर्टफ़ोलियो में मिड और स्मॉल कैप शेयर ज़्यादा हैं. इसके लिए बाज़ार के उतार-चढ़ाव के समय धैर्य चाहिए. ये देखने के लिए कि दोनों इंडेक्स ने अलग-अलग बाज़ार के मूड में कैसा प्रदर्शन किया, हमने 2010 से अब तक के दौर को तेज़ी और मंदी के हिस्सों में बांटा.
नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं कि दोनों इंडेक्स ने तेज़ी और मंदी में कैसा प्रदर्शन किया.
तेज़ी के बाज़ारों में फ़ायदे की तुलना
समय | निफ़्टी मल्टीकैप TRI (%) | निफ़्टी 500 TRI (%) |
---|---|---|
जनवरी 2010 - नवंबर 2010 | 26.9 | 21.2 |
दिसंबर 2011 - मार्च 2015 | 30 | 27 |
फ़रवरी 2016 - जनवरी 2020 | 15.5 | 16.6 |
मार्च 2020 - अक्तूबर 2021 | 93.1 | 83.2 |
जून 2022 - सितंबर 2024 | 37.7 | 33.4 |
एक साल से ज़्यादा समय के लिए फ़ायदा सालाना है, और एक साल से कम के लिए पूरा फ़ायदा. मंदी का समय वह है जब निफ़्टी 50 TRI में 15% या ज़्यादा की गिरावट आई. |
मल्टीकैप इंडेक्स ने 5 में से 4 तेज़ी के समय में बेहतर प्रदर्शन किया, औसतन 5.7% ज़्यादा फ़ायदा दिया. साफ़ है कि मिड और स्मॉल कैप शेयरों की ताकत तेज़ी में ख़ूब चमकती है.
क्या ये मंदी में ज़्यादा गिरते हैं? चलिए देखते हैं.
मंदी के बाज़ारों में फ़ायदे की तुलना
समय | निफ़्टी मल्टीकैप TRI (%) | निफ़्टी 500 TRI (%) |
---|---|---|
नवंबर 2010 - दिसंबर 2011 | -30.4 | -28.1 |
मार्च 2015 - फ़रवरी 2016 | -18.9 | -20.1 |
जनवरी 2020 - मार्च 2020 | -38.3 | -37.8 |
अक्तूबर 2021 - जून 2022 | -18.4 | -17.5 |
सितंबर 2024 - मार्च 2025 | -19.6 | -18.4 |
एक साल से ज़्यादा समय के लिए फ़ायदा सालाना है, और एक साल से कम के लिए पूरा फ़ायदा. मंदी का समय वह है जब निफ़्टी 50 TRI में 15% या ज़्यादा की गिरावट आई. |
मल्टीकैप इंडेक्स मंदी के 5 में से 4 दौर में थोड़ा ज़्यादा गिरा, लेकिन औसत फ़र्क सिर्फ़ 1.2% था - तेज़ी में मिलने वाले बढ़िया फ़ायदे के लिए ये छोटी-सी क़ीमत है.
सावधानी: पुराने नतीजे बनाम हक़ीकत
आंकड़े तो शानदार दिखते हैं, लेकिन याद रखें: निफ़्टी 500 मल्टीकैप 50:25:25 इंडेक्स दिसंबर 2020 में शुरू हुआ था. उससे पहले का डेटा सिर्फ़ टेस्ट पर आधारित है, यानी असली नहीं, सिर्फ़ अनुमान.
असल दुनिया में, इस इंडेक्स को फ़ॉलो करने वाले फ़ंड्स को शेयर ख़रीदने-बेचने में दिक्क़त, ज़्यादा ख़र्च और फ़ंड की फ़ीस जैसी चीजें फ़ायदा कम कर सकती हैं. तो, इंडेक्स की कहानी जितनी अच्छी है, असल फ़ंड का नतीजा थोड़ा अलग हो सकता है.
फै़सला: कौन-सा चुनें?
अगर आप पूरा बाज़ार कवर करना चाहते हैं, लेकिन निफ़्टी 500 को बहुत सेफ़ और लार्ज कैप शेयरों पर केंद्रित मानते हैं, तो मल्टीकैप इंडेक्स एक थोड़ा जोखिम भरा, लेकिन बराबर वाला रास्ता है. ये आपको भारत के पूरे बाज़ार - लार्ज कैप, मिड और स्मॉल कैप शेयरों - में नियमों के साथ निवेश का मौक़ा देता है.
हां, मंदी में ये थोड़ा ज़्यादा डगमगा सकता है, लेकिन तेज़ी में ये उसकी अच्छे से भरपाई कर देता है.
तो, उन निवेशकों के लिए जो आम इंडेक्स से हटकर कुछ चाहते हैं, निफ़्टी 500 मल्टीकैप 50:25:25 एक ऐसा निवेश हैं सकता है, जिसमें थोड़ा ज़्यादा दम है.
निप्पॉन इंडिया म्यूचुअल फ़ंड की इनवेस्टर एजुकेशन और जागरूकता की पहल
म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों के लिए ज़रूरी जानकारी: सभी म्यूचुअल फ़ंड निवेशकों को एक बार KYC (नो योर कस्टमर) प्रोसेस पूरा करना होता है. निवेशकों को सिर्फ़ SEBI की वेबसाइट पर 'इंटरमीडियरीज़/मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन' के तहत रजिस्टर्ड म्यूचुअल फ़ंड्स के साथ डील करना चाहिए. अपनी शिकायतों के निवारण के लिए, कृपया www.scores.gov.in पर जाएं. KYC, डिटेल में बदलाव और शिकायतों के निवारण के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए, mf.nipponindiaim.com/InvestorEducation/what-to-know-when-investing पर विज़िट करें.
म्यूचुअल फ़ंड निवेश मार्केट से जुड़े जोख़िमों के अधीन हैं. कृपया सभी स्कीम से जुड़े दस्तावेज़ों को ध्यान से पढ़ें.
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ये लेख पहली बार जुलाई 03, 2025 को पब्लिश हुआ.