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धीरे-धीरे लेकिन पक्के तौर पर, एक्सचेंज ट्रेडेट फ़ंड्स (ETFs ) अब मुख्यधारा के निवेश के तरीक़ों में शामिल हो चुके हैं. कम लागत (expense ratio ), पारदर्शिता और कई एसेट क्लास में आसान पहुंच के कारण, निवेशक अब ETF को एक गंभीर विकल्प की तरह देख रहे हैं.
बीते वित्त वर्ष में (अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक), ETF में ₹80,000 करोड़ से ज़्यादा का नेट इनफ़्लो आया, जबकि पिछले साल यह ₹48,000 करोड़ था. बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए, आइए समझें कि भारत में ETF पर टैक्स कैसे लगता है.
अच्छी ख़बर ये है कि अब ETF टैक्सेशन पहले से ज़्यादा सुव्यवस्थित हो गया है.
जुलाई 2024 से , सभी ETF—चाहे वे इक्विटी, बॉन्ड, कमोडिटी या ग्लोबल मार्केट्स में निवेश करते हों—अगर एक साल से ज़्यादा समय तक होल्ड किए जाते हैं, तो उन्हें लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट माना जाता है. ये एक सरल नियम है जो सभी पर लागू होता है, जिससे ट्रैकिंग आसान हो जाती है.
लेकिन जो चीज़ नहीं बदली है, वो ये है कि आपको असल में कितना टैक्स देना होगा, ये इस पर निर्भर करता है कि ETF किस चीज़ में निवेश करता है.
उदाहरण के लिए, इक्विटी में निवेश करने वाले ETF को टैक्स में छूट मिलती है, जबकि डेट या इंटरनेशनल ETF पर अलग नियम लागू होते हैं.
ETF टैक्सेशन की टेबल
ETF का प्रकार | इसमें क्या होता है | लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (1 साल बाद बेचने पर) | शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (1 साल के भीतर बेचने पर) |
---|---|---|---|
इक्विटी ETF | भारतीय स्टॉक्स (≥65% एक्सपोज़र) | ₹1.25 लाख/साल से ज़्यादा गेन पर 12.5% | 20% |
डेट ETF | बॉन्ड्स, G-Secs, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स | आपके इनकम स्लैब के अनुसार टैक्स | आपके इनकम स्लैब के अनुसार टैक्स% |
गोल्ड/सिल्वर ETF | भौतिक गोल्ड या सिल्वर, गोल्ड-बेस्ड इंस्ट्रूमेंट्स | 12.5% | आपके इनकम स्लैब के अनुसार टैक्स% |
इंटरनेशनल इक्विटी ETF | ग्लोबल स्टॉक्स | 12.5% | आपके इनकम स्लैब के अनुसार टैक्स% |
ETF में टैक्स का एक बड़ा फ़ायदा
ETF का एक बड़ा फ़ायदा ये है कि
टैक्स केवल रिडेम्प्शन के समय ही लगता है
, हर साल नहीं. इससे लॉन्ग-टर्म निवेशकों को टैक्स डिफ़र करने का मौक़ा मिलता है, जो लॉन्ग-टर्म गोल के लिए बेहद कारगर है.
ETF डिविडेंड पर टैक्स
अगर किसी ETF से डिविडेंड मिलता है, तो वो आपकी कुल इनकम में जुड़ जाएगा और उस पर आपकी इनकम स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा. अगर किसी फ़ंड हाउस से आपका कुल डिविडेंड ₹10,000 सालाना से ज़्यादा हो जाता है, तो उस पर 10% TDS काटा जाएगा.
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ये लेख पहली बार अप्रैल 23, 2025 को पब्लिश हुआ.