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Jubilant Ingrevia भले ही एक छोटी कंपनी हो, लेकिन इसके सपने काफ़ी बड़े हैं. ये स्मॉल-कैप केमिकल कंपनी अब एक बेहद महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर बढ़ रही है—अपने रेवेन्यू को तीन गुना और EBITDA को चार गुना करना, वो भी अगले पांच साल में यानी FY29 तक. इसका मतलब होगा कि कंपनी का रेवेन्यू ₹4,000 करोड़ से बढ़कर ₹12,000-13,000 करोड़ और EBITDA ₹456 करोड़ से बढ़कर ₹2,400 करोड़ तक पहुंच जाए. इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कंपनी को अपने EBITDA मार्जिन को भी FY24 के 11% से बढ़ाकर 20% से ऊपर ले जाना होगा. सवाल यही है—क्या ये सपना हक़ीक़त बन सकता है?
रणनीति क्या है?
स्पेशलिटी केमिकल्स पर दांव: Jubilant की मुख्य रणनीति है—ज़्यादा मार्जिन वाले स्पेशलिटी केमिकल्स की ओर शिफ़्ट करना. अभी कंपनी की कुल आय का लगभग एक-चौथाई हिस्सा इसी से आता है. 2023 में ग्लोबल स्पेशलिटी केमिकल्स मार्केट का साइज़ $641 बिलियन से ज़्यादा था और 2030 तक ये हर साल 5.2% के रेट से बढ़ने की उम्मीद है. भारत का स्पेशलिटी केमिकल्स सेक्टर इस दौरान 9.3% की तेज़ ग्रोथ दिखा सकता है.
इसके अलावा कंपनी पोषण और स्वास्थ्य (nutrition & health) और केमिकल इंटरमीडिएट्स में भी काम करती है. इनमें से इंटरमीडिएट्स रेवेन्यू का सबसे बड़ा हिस्सा है लेकिन मार्जिन सबसे कम है. FY19 में इसका हिस्सा 60% था, जो FY24 में घटकर 45% रह गया. कंपनी अब जानबूझकर स्पेशलिटी और न्यूट्रिशन पर फ़ोकस कर रही है, जिससे FY30 तक इन दोनों का योगदान कुल रेवेन्यू का 75% और EBITDA का 90% करने का लक्ष्य है.
कैपेक्स और उत्पादन क्षमता का विस्तार: इस बदलाव को सपोर्ट करने के लिए कंपनी ने भारी पूंजी निवेश (capex) किया है. बीते 2-3 साल में ₹1,300 करोड़ ख़र्च किए गए हैं और FY25 में ₹700 करोड़ और निवेश की योजना है. इस ₹2,000 करोड़ में से क़रीब 77% निवेश स्पेशलिटी और न्यूट्रिशन सेगमेंट में किया जा रहा है.
CDMO मॉडल की ओर रुख: स्पेशलिटी केमिकल्स के लिए कंपनी ने एक मल्टीनेशनल एग्रोकेमिकल इनोवेटर के साथ 5 साल का समझौता किया है, जिसमें वो एक पेटेंटेड इंटरमीडिएट बनाएगी. इसके अलावा दो और CDMO ऑर्डर के लिए भी कैपेक्स शुरू किया गया है. CDMO बिज़नेस में लंबी अवधि के कॉन्ट्रैक्ट और बेहतर मार्जिन मिलते हैं, जिससे कंपनी की प्रॉफ़िटबिलिटी में सुधार की उम्मीद है.
विदेशी बाज़ार में विस्तार: कंपनी का लक्ष्य अपने अंतरराष्ट्रीय रेवेन्यू को मौजूदा 41% से बढ़ाकर 70% तक पहुंचाना है. इसके लिए निर्यात को लेकर कोशिशें तेज़ की जा रही हैं.
क्या लक्ष्य पाना संभव है?
Efficiency की सख़्त ज़रूरत: कंपनी का कहना है कि ज़्यादातर कैपेक्स FY25 तक पूरा हो जाएगा. ऐसे में ₹700 करोड़ के अतिरिक्त निवेश के साथ कुल एसेट बेस ₹5,500 करोड़ तक हो जाएगा. ₹12,000 करोड़ का रेवेन्यू हासिल करने के लिए कंपनी को 2x से ज़्यादा का एसेट टर्नओवर रेशियो चाहिए होगा—जो कि इंडस्ट्री एवरेज और इसके अपने ट्रैक रिकॉर्ड से कहीं ज़्यादा है.
Jubilant का पिछला तीन साल का औसत एसेट टर्नओवर रेशियो सिर्फ़ 1.2x रहा है. इसके प्रतिस्पर्धी Laxmi Organics का रेशियो 1.5x है, जबकि ग्लोबल कंपनियाँ जैसे Lonza Group और Merck KGaA केवल 0.4-0.5x रेंज में हैं. Evonik Nutrition में 1x से नीचे ही है.
ऐसे में 2x का लक्ष्य पाने के लिए Jubilant को अपने प्लांट्स की क्षमता का बेहद प्रभावी तरीके से उपयोग करना होगा—जो आसान नहीं है.
सेक्टर के जोखिम भी कम नहीं: Agrochemicals और Pharmaceuticals जैसे क्षेत्रों में डिमांड की अनिश्चितता से जुड़े execution risks भी हैं. FY24 में एग्रोकेमिकल्स इंडस्ट्री को inventory glut और चीन से oversupply का सामना करना पड़ा. अगर ये समस्याएं फिर उभरती हैं, तो वॉल्यूम और प्राइसिंग पर असर पड़ेगा.
आपके लिए सबक़:
Jubilant Ingrevia की रणनीति—स्पेशलिटी सेगमेंट और इंटरनेशनल मार्केट्स पर फोकस—काफ़ी सशक्त लगती है. लेकिन 25-30% की सालाना ग्रोथ की उम्मीद पूरी करना एक बड़ी चुनौती है.
इतना ही नहीं, 43x के P/E पर कंपनी की वैल्यूएशन पहले से ही काफ़ी उम्मीद जगा रहा है. एक्ज़ीक्यूट करने का रिस्क और कमोडिटी साइकिल का असर इन वैल्यूएशंस में शामिल होना ज़रूरी है. निवेशक इन कारकों को ध्यान में रखकर ही फ़ैसला लें.
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