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हाई EPS (प्रति शेयर कमाई) ग्रोथ वाले शेयरों के चाहने वालों की अपनी एक अलग ही जमात है. और क्यों न हो? लगातार EPS बढ़ने का अर्थ है कंपनी हर साल स्थिर रूप से अपना मुनाफ़ा बढ़ा रही है, जिससे अंततः शेयरधारकों को अच्छा रिटर्न मिलता है.
हमने ऐसे दमदार खिलाड़ियों को मिडकैप स्पेस में तलाशा. लेकिन ये सुनिश्चित करने के लिए कि हम उन्हीं कंपनियों को चुनें जो ग्रोथ, क्वालिटी, वैल्यूएशन और मोमेंटम जैसे सभी महत्वपूर्ण मानकों पर खरी उतरें, हमने वैल्यू रिसर्च स्टॉक रेटिंग में 5-स्टार वाली कंपनियों को चुना.
इनमें से लगातार मुनाफ़ा देने वाली कंपनियों की खोज के लिए हमने EPS का फ़िल्टर लगाया: बीते 10 साल में सालाना EPS ग्रोथ कम से कम 15 प्रतिशत. इस फ़िल्टर के बाद हमारे पास 12 शेयर बचे. अंतिम सूची के लिए हमने इनमें से मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के आधार पर टॉप 10 शेयर चुने, जो नीचे दी गई टेबल में हैं. इनमें से दो कंपनियों की सफलता की कहानी विस्तार से आगे दी गई है. पूरी सूची हमारे स्टॉक स्क्रीनर में उपलब्ध है.
कंपनी | स्टॉक रेटिंग | मार्केट कैप (₹ करोड़) | 10-वर्ष EPS ग्रोथ (%) |
---|---|---|---|
कोरोमंडल इंटरनेशनल | 5 | 62,405 | 16.1 |
नारायण हृदयालय | 5 | 37,907 | 36.8 |
ICICI सिक्योरिटीज़ | 5 | 29,132 | 34.7 |
चंबल फ़र्टिलाइजर्स | 5 | 26,989 | 18.4 |
वेलस्पन कॉर्प | 5 | 20,440 | 31.3 |
मनप्पुरम फाइनेंस | 5 | 19,387 | 25.4 |
आदित्य बिड़ला AMC | 5 | 18,078 | 23.5 |
BLS इंटरनेशनल | 5 | 15,940 | 31.3 |
नवा | 5 | 13,301 | 15.3 |
गोदावरी पावर | 5 | 12,757 | 32.7 |
(डेटा: 20 अप्रैल, 2025 तक) |
BLS इंटरनेशनल सर्विसेज़
पिछले एक दशक में
BLS इंटरनेशनल
ने एक छोटे मगर महत्वपूर्ण क्षेत्र– वीज़ा आउटसोर्सिंग– में अपनी अलग पहचान बनाई है. वैश्विक तौर पर यह दूसरा सबसे बड़ा वीज़ा सर्विस प्रोवाइडर बन चुका है, जिसकी बाज़ार हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है. इस विशिष्ट मार्केट में अपनी पकड़ मज़बूत बनाने से कंपनी की EPS ग्रोथ भी मज़बूत रही है. सरकारों को सुरक्षित, विश्वसनीय और कुशल वीज़ा प्रोसेसिंग की ज़रूरत थी, जिसका लाभ BLS ने तकनीकी कुशलता के साथ उठाया.
कंपनी के कैपिटल-लाइट मॉडल ने परिचालन लागत घटाने में मदद की और कुशलता से विस्तार करने में सहायक बना, जिससे 10 साल में इसका औसत EBITDA मार्जिन 15 प्रतिशत रहा. वैश्विक विस्तार के साथ कंपनी ने iDATA और सिटिज़नशिप इन्वेस्ट जैसे अधिग्रहण कर सेवा पोर्टफ़ोलियो को बढ़ाया. इससे इसे वैश्विक बाज़ार में पकड़ मज़बूत करने में मदद मिली. कंपनी ने अपने पोर्टफ़ोलियो में विविधता लाकर एक ऐसी मार्केट में जगह बनाई है, जो 2028 तक 14 प्रतिशत सालाना बढ़ने की उम्मीद है.
हालांकि, ग्रोथ की यह कहानी जोखिम से मुक्त नहीं है. BLS की ग्रोथ में सरकारी अनुबंधों पर निर्भरता एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि राजनीतिक उतार-चढ़ाव, रेग्युलेटरी बदलाव और कॉन्ट्रैक्ट्स के नवीनीकरण में देरी का जोखिम बना रहता है. साथ ही VFS ग्लोबल जैसे प्रमुख प्रतिस्पर्धियों से बढ़ती टक्कर भी चिंता का विषय है.
मनप्पुरम फ़ाइनेंस
मनप्पुरम फ़ाइनेंस
का निरंतर EPS ग्रोथ भारत में गोल्ड लोन की बढ़ती मांग के अवसर का लाभ उठाने का नतीजा रहा है. शुरुआती 2010 के दशक में, ग्रामीण भारत में वित्तीय समावेशन की कमी स्पष्ट थी, जिससे करोड़ों लोग औपचारिक क़र्ज़ से वंचित थे. मनप्पुरम ने इस कमी को पहचाना और गोल्ड-संपार्श्विक वाले छोटे, कम अवधि के क़र्ज़ देकर एक सफल बिज़नेस मॉडल बनाया.
सोने के बढ़ते महत्व के साथ इसका लोन पोर्टफ़ोलियो लगातार बढ़ा, बीते 10 वर्षों में लगभग 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़त हासिल की, जिससे EPS भी मज़बूत हुआ. लेकिन इसका मूल्यांकन मुथूट फ़ाइनेंस जैसे बड़े प्रतिद्वंद्वी से हमेशा कम रहा, जिसका मुख्य कारण इसका मात्र तीन महीने का छोटा लोन कार्यकाल है, जिससे परिचालन लागतें ज्यादा होती हैं.
साथ ही बैंकिंग सेक्टर से प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है. बैंक अब NBFCs से कम ब्याज दरों पर गोल्ड लोन दे रहे हैं. हाल में पूनावाला फ़िनकॉर्प जैसे नए खिलाड़ियों के प्रवेश से प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी.
याद रखें:
ये स्टॉक स्क्रीनर निवेश के लिए केवल शुरुआती कदम है. EPS पिछले प्रदर्शन का अच्छा संकेतक हो सकता है, लेकिन आपको कंपनी की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति, सेक्टर की गतिशीलता, और भविष्य की चुनौतियों को समझने की ज़रूरत है. इस कहानी में बताए गए शेयरों को हमारे सुझाव के रूप में न लें.
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