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बीते एक साल में, सोने की क़ीमतों में 33% की दमदार रैली ने गोल्ड म्यूचुअल फ़ंड्स की चमक को और बढ़ा दिया है. इस ग्रोथ के पीछे का कारण मुख्य रूप से वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, बढ़ती मुद्रास्फीति और निवेशकों की सुरक्षित निवेश विकल्पों की तलाश है. इन फ़ैक्टर्स ने सोने को एक आकर्षक निवेश विकल्प बना दिया है और इसी कारण गोल्ड म्यूचुअल फ़ंड्स ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है।
मोटे तौर पर गोल्ड में वही लोग निवेश करते हैं, जो इक्विटी के उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं या अनिश्चतता से भरे दौर से गोल्ड में तेज़ी का फ़ायदा उठाना चाहते हैं. असल में, गोल्ड की क़ीमतें स्थिर नहीं होतीं और यहे वैश्विक घटनाओं के आधार पर बढ़-घट सकती हैं.
गोल्ड में निवेश का सरल तरीक़ा
गोल्ड म्यूचुअल फ़ंड्स ने न केवल रिटर्न प्रदान किया, बल्कि निवेशकों को सोने में निवेश करने का एक सरल तरीक़ा भी दिया है. ये तरीक़ा गोल्ड की पारंपरिक ख़रीदारी के मुकाबले ज़्यादा सुरक्षित और लचीला है. गोल्ड म्यूचुअल फ़ंड्स में निवेश करने से निवेशकों को सोने के प्रति उतनी ही पहुंच मिलती है, जितनी कि फ़िजिकल गोल्ड के निवेश से, लेकिन इसमें म्यूचुअल फ़ंड मैनेजमेंट का फ़ायदा भी होता है.
3 साल के टॉप 5 गोल्ड म्यूचुअल फ़ंड
गोल्ड में आई दमदार रैली का असर बीते 3 साल के म्यूचुअल फ़ंड के रिटर्न भी जाहिर होता है. 3 साल के टॉप 5 गोल्ड फ़ंड ने 30 फ़ीसदी के आसपास रिटर्न दिया है. हालांकि, ध्यान रखें कि इस टॉप 5 लिस्ट में से ऊपर के तीनों फ़ंड ETF हैं.
फ़ंड | 3 साल में सालाना रिटर्न (%) | ₹10,000 की SIP की वैल्यू |
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UTI Gold ETF* | 29.94 | ₹5.53 लाख |
LIC MF Gold ETF* | 29.74 | ₹5.51 लाख |
LIC MF Gold ETF FoF Dir | 29.64 | ₹5.50 लाख |
Quantum Gold Savings Dir | 29.26 | ₹5.48 लाख |
ABSL Gold Dir | 29.15 | ₹5.47 लाख |
नोटः डेटा 25 अप्रैल 2025 का है. *डेटा रेग्युलर प्लान का है. |
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गोल्ड फंड्स में निवेश के फ़ायदे
1. सुरक्षित निवेश विकल्पः गोल्ड को पारंपरिक रूप से 'सुरक्षित निवेश' माना जाता है. आर्थिक अनिश्चितता या शेयर बाज़ार में गिरावट के समय गोल्ड फ़ंड्स एक स्थिर रिटर्न देने का माध्यम बनते हैं.
2. स्टोरेज की चिंता नहींः फ़िजिकल गोल्ड की तरह इसमें लॉकर या सुरक्षा की ज़रूरत नहीं होती. गोल्ड फ़ंड्स में निवेश डिजिटल रूप में होता है, जो अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक है.
3. कम लागत पर निवेशः गोल्ड फ़ंड्स में निवेश करने के लिए भारी रक़म की ज़रूरत नहीं होती. SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के ज़रिए छोटे-छोटे निवेश किए जा सकते हैं.
4. तरलता (Liquidity): जब चाहें, तब आप अपने यूनिट्स बेच सकते हैं और पैसे निकाल सकते हैं। यह सुविधा भौतिक सोने की तुलना में अधिक आसान और तेज़ है.
गोल्ड फ़ंड्स में निवेश की कमियां
1. कमाई पर टैक्सः गोल्ड फंड्स से होने वाली आय पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है, जो कि तीन साल से अधिक के निवेश पर लगता है.
2. मार्केट रिस्कः सोने की क़ीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार, डॉलर की स्थिति और भू-राजनीतिक घटनाओं पर निर्भर करती हैं, जिससे इन फ़ंड्स में अस्थिरता बनी रहती है.
3. एक्सपेंस रेशियोः गोल्ड फ़ंड्स में फ़ंड मैनेजमेंट के लिए फ़ीस (Expense Ratio) ली जाती है, जो निवेश के कुल रिटर्न को थोड़ा कम कर सकता है.
4. कोई डिविडेंड नहींः गोल्ड फ़ंड्स आमतौर पर कोई डिविडेंड नहीं देते. यानी निवेश से रिटर्न केवल मूल्य वृद्धि के रूप में ही मिलता है.
ETF और गोल्ड फ़ंड में अंतर
गोल्ड ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फ़ंड): गोल्ड ETF को आप स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर की तरह ख़रीद-बेच सकते हैं. इसमें निवेश पर बहुत कम कॉस्ट (सालाना ख़र्चा या एक्सपेंस रेश्यो सिर्फ 0.4% से 0.6% के आसपास) आती है. इसके लिए, आपको बस एक डीमैट अकाउंट चाहिए.
गोल्ड म्यूचुअल फ़ंड: अगर आपके पास डीमैट अकाउंट नहीं है या आप इसे खुलवाना ही नहीं चाहते और आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा सोना (SIP के ज़रिए) ख़रीदना चाहते हैं, तो ये आपके लिए है. ये फ़ंड मैनेजर आपके लिए गोल्ड ETF ख़रीदते हैं, आपको बस पैसा लगाना है. हालांकि, मैनेजर अपनी मेहनत का थोड़ा एक्स्ट्रा चार्ज (एक्सपेंस रेश्यो ETF से थोड़ा ज्यादा, क़रीब 0.5% से 1%) लेते हैं.
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ये लेख पहली बार अप्रैल 28, 2025 को पब्लिश हुआ.