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मार्च 2025 में सेक्टोरल फ़ंड्स में 97% की गिरावट

AMFI के नए आंकड़े चौंकाने वाले हैंआंकड़े ही कहानी बयां कर रहे हैं

मार्च 2025 में सेक्टोरल फंड्स में निवेश 97% घटा

मार्च सेक्टोरल और थीमैटिक फ़ंड्स के लिए काफ़ी मुश्किल रहा. म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की संस्था AMFI (एसोसिएशन ऑफ़ म्यूचुअल फ़ंड्स इन इंडिया) के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, इस कैटेगरी में शुद्ध निवेश मार्च में 97% गिरकर केवल ₹170 करोड़ रह गया, जबकि फ़रवरी में यह ₹5,712 करोड़ था.

गिरावट की वजह क्या रही?
सबसे बड़ी वजह रही—मार्च में नया कोई ख़ास फंड लॉन्च न होना. इस कैटेगरी में सिर्फ़ एक नया फ़ंड आया—मोतीलाल ओस्वाल एक्टिव मोमेंटम फ़ंड. इसके अलावा, बाज़ार में तेज़ उतार-चढ़ाव ने निवेशकों के जोश को भी कम किया, क्योंकि ये फ़ंड्स हाई रिस्क होते हैं.

एक और कारण हो सकता है प्रॉफ़िट बुकिंग. मार्च में कुछ सेक्टोरल फ़ंड्स में रिकवरी दिखी, जिसके बाद कई निवेशकों ने मुनाफ़ा कमा लिया और पैसा निकाल लिया. इन फ़ंड्स से एग्ज़िट 55% बढ़कर ₹8,920 करोड़ पहुंच गई, जबकि फ़रवरी में ये ₹5,752 करोड़ थी.

दूसरी इक्विटी कैटेगरीज़ का हाल
जहां सेक्टोरल फंड्स की रफ़्तार धीमी पड़ी, वहीं स्मॉलकैप और मिडकैप फ़ंड्स में निवेशक रुचि बरक़रार रही.

इन आंकड़ों से साफ़ है कि निवेशक ज़्यादा डायवर्सिफाइड और लचीले फ़ंड्स को तरजीह दे रहे हैं.

टैक्स सेविंग फ़ंड्स में निवेश सालों के न्यूनतम स्तर पर
मार्च में आमतौर पर ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) में निवेश बढ़ता है क्योंकि लोग टैक्स सेविंग के लिए आख़िरी मौक़ा पकड़ते हैं. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ.

ELSS फ़ंड्स में मार्च 2025 में केवल ₹735 करोड़ का निवेश आया—कई वर्षों में सबसे कम. इसकी बड़ी वजह है नया टैक्स रिजीम, जिसमें सेक्शन 80C के तहत टैक्स कटौती नहीं मिलती. इससे ELSS की लोकप्रियता घटी है.

डेट और हाइब्रिड फ़ंड्स में दबाव

  • डेट फ़ंड्स से निकासी: ₹2.02 लाख करोड़ (मुख्यतः फाइनेंशियल ईयर एंड पर लिक्विड फ़ंड्स से निकासी)
  • हाइब्रिड फ़ंड्स से शुद्ध निकासी: ₹947 करोड़ (अर्बिट्राज और कंज़र्वेटिव हाइब्रिड फ़ंड्स से निकासी)

हालांकि कुछ हाइब्रिड सब-कैटेगरीज़ ने सकारात्मक प्रदर्शन दिखाया:

SIP कलेक्शन में मामूली गिरावट
मार्च में SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) कलेक्शन ₹25,926 करोड़ रहा, जो फ़रवरी के ₹25,999 करोड़ से थोड़ा कम है. हालांकि ये गिरावट मामूली है, लेकिन साल-दर-साल आधार पर SIP में बढ़त जारी है, जिससे रिटेल निवेशकों की लगातार भागीदारी का संकेत मिलता है.

ये भी पढ़ें: SEBI ने SIF के मामले में दी कुछ ‘छूट’

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