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मान लीजिए कि आप हर महीने ₹10,000 की रेगुलर SIP कर रहे हैं. लेकिन एक महीने में बाज़ार अचानक गिर जाता है. शेयर सस्ते दिखते हैं. ऐसे में, हर महीने की तरह ₹10,000 निवेश करने के बजाय, क्या ये ज़्यादा सही नहीं होगा कि जब क़ीमतें कम हों तो आप ज़्यादा निवेश करें और जब बाज़ार में बहुत तेज़ी हो तो थोड़ा कम निवेश करें?
स्मार्ट SIP के पीछे का यही आइडिया है, जिसे फ़्लेक्स SIP भी कहते हैं.
स्मार्ट SIP क्या है?
स्मार्ट SIP एक तरह का सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) है, जो बाज़ार की स्थिति के आधार पर आपके मंथली निवेश की रक़म को समायोजित यानि उसमें बदलाव करता है. इसके पीछे का आइडिया बहुत आसान है:
- जब बाज़ार नीचे हो, तो ज़्यादा निवेश करें (कम क़ीमत पर ज़्यादा यूनिट ख़रीदने के लिए)
- जब बाज़ार ऊपर हो, तो कम निवेश करें (महंगी यूनिट्स ख़रीदने से बचने के लिए)
ये काम P/E (प्राइस-टू-अर्निंग्स) रेशियो, मार्केट वैल्यूएशन या मूविंग एवरेज जैसे इंडिकेटर्स के आधार पर होता है.
ज़्यादातर प्लेटफ़ॉर्म पर, आप एक सामान्य राशि (मान लें ₹10,000) और एक अधिकतम राशि (मान लें ₹20,000) तय करते हैं. बाज़ार के ट्रेंड्स के आधार पर, आपकी SIP इन दो राशियों के बीच बदलती रहती है.
स्मार्ट SIP कैसे काम करती है?
मान लीजिए आपकी स्मार्ट SIP निफ़्टी 50 के P/E रेशियो के आधार पर तय करती है कि हर महीने कितना निवेश करना है. पिछले एक साल में औसत P/E लगभग 22.3 रहा है. इस आधार पर SIP की रक़म इस तरह बदलती है:
- अगर P/E ज़्यादा है (22.6 से ऊपर) → बाज़ार महंगा है, तो आपकी SIP घटकर ₹5,000 हो जाती है
- अगर P/E सामान्य है (22.0 और 22.6 के बीच) → आपकी SIP ₹10,000 पर रहती है
- अगर P/E कम है (22.0 से नीचे) → बाजार सस्ता लगता है, तो आपकी SIP बढ़कर ₹20,000 हो जाती है
पिछले वर्ष ये सब कुछ इस प्रकार हुआ होगा:
SIP की डेट | मार्केट P/E (स्टेटस) | स्मार्ट SIP की रक़म | सामान्य SIP |
---|---|---|---|
1 जुलाई, 2024 | 23.0 (ओवरवैल्यूड) | ₹5,000 | ₹10,000 |
1 अगस्त, 2024 | 23.4 (ओवरवैल्यूड) | ₹5,000 | ₹10,000 |
2 सितंबर, 2024 | 23.5 (ओवरवैल्यूड) | ₹5,000 | ₹10,000 |
1 अक्तूबर, 2024 | 24.2 (ओवरवैल्यूड) | ₹5,000 | ₹10,000 |
1 नवंबर, 2024 | 22.6 (न्यूट्रल) | ₹10,000 | ₹10,000 |
1 दिसंबर, 2024 | 22.4 (न्यूट्रल) | ₹10,000 | ₹10,000 |
1 जनवरी, 2025 | 21.9 (अंडरवैल्यूड) | ₹20,000 | ₹10,000 |
1 फ़रवरी, 2025 | 21.3 (अंडरवैल्यूड) | ₹20,000 | ₹10,000 |
3 मार्च, 2025 | 19.7 (अंडरवैल्यूड) | ₹20,000 | ₹10,000 |
1 अप्रैल, 2025 | 21 (अंडरवैल्यूड) | ₹20,000 | ₹10,000 |
2 मई, 2025 | 22.0 (न्यूट्रल) | ₹10,000 | ₹10,000 |
2 जून, 2025 | 22.3 (न्यूट्रल) | ₹10,000 | ₹10,000 |
कुल SIP | ₹1.4 lakh | ₹1.2 lakh | |
*हम यह मानकर चलते हैं कि कोई फ़ंड बाज़ार की स्थितियों को न्यूट्रल, ओवरवैल्यूड या अंडरवैल्यूड के रूप में कैसे देखेगा. |
लेकिन क्या स्मार्ट SIP वाकई काम करती है?
स्मार्ट SIP सुनने में बहुत अच्छी लगती है, लेकिन इसमें एक पेच है. ये इस आइडिया पर आधारित है कि बाज़ार की टाइमिंग (अनुमान लगाकर) तय करके - यानी क़ीमतें गिरने पर ज़्यादा और बढ़ने पर कम निवेश करके - आप बेहतर रिटर्न पा सकते हैं. ये लुभावना लगता है, ना?
लेकिन बड़ी बात ये है कि यही काम पारंपरिक SIP पहले से ही चुपके से और प्रभावी ढंग से करती है, वो भी बिना किसी तामझाम के.
सामान्य SIP में आप हर महीने एक निश्चित रक़म निवेश करते हैं. जब बाज़ार नीचे होता है, तो आपके निवेश से ज़्यादा यूनिट मिलती हैं. जब बाज़ार ऊपर होता है, तो कम यूनिट मिलती हैं. इसे रुपये की लागत औसत (रुपी कॉस्ट एवरेजिंग) होना कहते हैं. यही SIP की असली ताकत है.
दूसरी ओर, स्मार्ट SIP इस सिस्टम को और समझदारी भरा बनाने की कोशिश करती है और ऐसा आपके मंथली निवेश को बदलकर किया जाता है, लेकिन ऐसा करके इसमें बाज़ार को टाइम करने की वो आदत फिर से आ जाती है, जिससे बचने के लिए SIP को बनाया गया था.
तो, "स्मार्ट" की लहर में शामिल होने से पहले खुद से पूछें: “क्या आप अनुशासन और मानसिक शांति के लिए निवेश कर रहे हैं, या बाज़ार के मूड को भांपने की कोशिश कर रहे हैं (जो बड़े-बड़े निवेशक भी नहीं कर पाते)?”
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दूसरे शब्दों में, ये "स्मार्ट" बदलाव निवेशकों के फ़ायदे से ज़्यादा मार्केटिंग की चमक-दमक के लिए हैं. बेहतर है कि आप इस शोर को अनसुना करें और सामान्य SIP की सादगी पर टिके रहें.
स्मार्ट SIP में एक व्यावहारिक समस्या भी है: इसे प्लान करना मुश्किल है. जैसा कि ऊपर बताया गया है, आप कुल मिलाकर ज़्यादा निवेश करते हैं - खासकर बाज़ार में गिरावट के दौरान, जब स्मार्ट SIP आपसे ज़्यादा निवेश करने को कहती है. लेकिन यही वो समय होता है जब ज़्यादातर लोग आर्थिक रूप से तनाव में होते हैं या अनिश्चितता महसूस करते हैं. ईमानदारी से कहें तो, बाज़ार में मंदी के महीने में ₹20,000 निकालना हमेशा संभव नहीं होता. एक महीना चूक गए, तो सारा “स्मार्ट” लॉजिक ढहने लगता है.
चूंकि आपकी मंथली रक़म बार-बार बदलती रहती है, इससे बजट बनाना मुश्किल हो जाता है. असल में, अनिश्चितता वित्तीय अनुशासन की दुश्मन है.
दूसरी ओर, पारंपरिक SIP निरंतरता पर टिकी है. ये भावनाओं को समीकरण से बाहर रखता है और लंबे समय में वैल्थ तैयार करने की योजना पर टिके रहने में मदद करता है.
आखिरी बात
स्मार्ट SIP (या फ़्लेक्स SIP) एक अच्छे आइडिया पर आधारित है: सस्ता होने पर ज़्यादा ख़रीदें, महंगा होने पर कम. लेकिन ये कोई जादू की गोली नहीं है.
ज़्यादातर निवेशकों के लिए, एक अच्छे फ़ंड में नियमित और साधारण SIP, जिसमें स्थिर निवेश की आदत हो, लंबे समय में सारी स्मार्ट तरक़ीबों से बेहतर प्रदर्शन करेगा. आखिरकार, बात बाज़ार में टाइमिंग की नहीं, बल्कि बाज़ार में टाइम बिताने की है.
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ये लेख पहली बार जुलाई 01, 2025 को पब्लिश हुआ.