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RoE क्या है? निवेशकों के लिए क्यों है ये इतना ख़ास?

क्या रोल निभाता है निवेशकों के लिए रिटर्न ऑन इक्विटी

"RoE क्या है? निवेशकों के लिए रिटर्न ऑन इक्विटी का महत्वAdobe Stock

क्या आपने कभी सोचा कि कोई कंपनी आपके निवेश को कितनी कुशलता से मुनाफे में बदल रही है? रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) वह जादुई नंबर है जो यह बताता है कि कंपनी अपने शेयरधारकों की पूंजी का कितना स्मार्ट तरीके से इस्तेमाल कर रही है. अगर आप सही स्टॉक चुनना चाहते हैं, तो RoE आपका सबसे अच्छा दोस्त हो सकता है. आइए, इसे आसान शब्दों में समझते हैं और जानते हैं कि यह हर निवेशक के लिए इतना खास क्यों है.

RoE क्या होता है? इसका मतलब समझें
रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE)
एक फ़ाइनेंशियल मीट्रिक है जो ये दिखाता है कि कोई कंपनी अपने शेयरधारकों की पूंजी (इक्विटी) से कितना मुनाफ़ा कमा रही है. इसे प्रतिशत (%) में मापा जाता है. आसान शब्दों में, RoE कंपनी का माइलेज है—ये बताता है कि आपके निवेश के हर रुपये से कंपनी कितना प्रॉफ़िट बना रही है.

जितना ज़्यादा RoE, उतना ही कुशल मैनेजमेंट. उदाहरण के लिए, अगर रिलायंस इंडस्ट्रीज़ का RoE 8.58% है, तो इसका मतलब है कि कंपनी हर ₹100 की इक्विटी पर ₹8.58 का मुनाफ़ा कमा रही है.

RoE की गणना कैसे करें?
RoE निकालना बहुत आसान है. इसके लिए आपको दो चीज़ें चाहिए:

  • नेट इनकम : कंपनी की कुल कमाई में से ख़र्चे (जैसे बिज़नस का ख़र्च, लोन का ब्याज, टैक्स, और क़र्ज़ की किश्त) घटाने के बाद जो बचता है, उसे नेट इनकम कहते हैं. ये कंपनी के प्रॉफ़िट एंड लॉस स्टेटमेंट में मिलता है.
  • शेयरधारकों की इक्विटी : ये वो रक़म है जो कंपनी के बिकने और सारे क़र्ज़ चुकाने के बाद शेयरधारकों को मिलेगी. इसे एसेट्स - लायबिलिटीज़ से कैलकुलेट करते हैं.

RoE का फॉर्मूला:
RoE (%) = (नेट इनकम ÷ शेयरधारकों की इक्विटी) × 100
उदाहरण:
मान लीजिए, HDFC Bank की नेट इनकम ₹44,100 करोड़ और शेयरधारकों की इक्विटी ₹2,50,000 करोड़ है.
RoE = (44,100 ÷ 2,50,000) × 100 = 17.64%
इसका मतलब है कि HDFC Bank हर ₹100 की इक्विटी पर ₹17.64 का मुनाफा कमा रही है.

RoE का इस्तेमाल कैसे करें?
RoE का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आपको दो कंपनियों की तुलना करने में मदद करता है. मान लीजिए, आप एशियन पेंट्स और बर्जर पेंट्स में से किसी एक में निवेश करना चाहते हैं. दोनों की नेट इनकम ₹500 करोड़ है. लेकिन क्या सिर्फ प्रॉफिट देखकर फैसला करना सही होगा? बिल्कुल नहीं!

यहां RoE आपकी मदद करता है. दोनों कंपनियों की सालाना रिपोर्ट खोलें और इनके RoE कैलकुलेट करें:

RoE का इस्तेमाल कैसे करें?
RoE का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आपको दो कंपनियों की तुलना करने में मदद करता है। मान लीजिए, आप Asian Paints और Berger Paints में से किसी एक में निवेश करना चाहते हैं। दोनों का नेट इनकम ₹500 करोड़ है। लेकिन क्या सिर्फ प्रॉफिट देखकर फैसला करना सही होगा? बिल्कुल नहीं!

यहां RoE आपकी मदद करता है. दोनों कंपनियों की सालाना रिपोर्ट खोलें और इनके RoE की गणना करें:

एशियन पेंट्स : नेट इनकम = ₹500 करोड़, शेयरधारकों की इक्विटी = ₹1,558.04 करोड़
RoE = (500 ÷ 1,558.04) × 100 = 32.08%

बर्जर पेंट्स : नेट इनकम = ₹500 करोड़, शेयरधारकों की इक्विटी = ₹1,527.86 करोड़
RoE = (500 ÷ 1,527.86) × 100 = 32.72%

अब फ़ैसला आसान है. बर्जर पेंट्स का RoE थोड़ा ज़्यादा है, यानी ये आपके निवेश को थोड़ा ज़्यादा कुशलता से मुनाफ़े में बदल रही है।

ये भी पढ़ेंः ETF पर टैक्स कैसे लगता है?

RoE क्यों है इतना ज़रूरी?
RoE निवेशकों के लिए एक शक्तिशाली टूल है. ये हैं इसके फ़ायदे:

  • मैनेजमेंट की कुशलता : ज़्यादा RoE का मतलब है कि कंपनी का मैनेजमेंट आपके पैसे का सही इस्तेमाल कर रहा है.
  • सही स्टॉक चुनने में मदद : RoE से आप एक ही सेक्टर की कंपनियों की तुलना कर सकते हैं, जैसे TCS बनाम Infosys .
  • लंबी अवधि के निवेश के लिए : अगर आप 5-10 साल के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो ऊंचा RoE वाली कंपनियां बेहतर रिटर्न दे सकती हैं.

भारतीय कंपनियों के RoE उदाहरण:

कंपनी RoE (%) सेक्टर
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ 8.58% समूह
TCS 52.94% IT
HDFC बैंक 17.64% बैंकिंग
अंबुजा सीमेंट्स 14.5% सीमेंट
(स्रोत: वैल्यू रिसर्च, अप्रैल 2025)

जैसा कि आप देख सकते हैं, TCS जैसे IT सेक्टर की कंपनियों का RoE (52.94 अप्रैल 2025) ज़्यादा है क्योंकि ये कम पूंजी में ज़्यादा मुनाफ़ा कमाती हैं. वहीं, अंबुजा सीमेंट्स जैसे सेक्टर में पूंजी की ज़रूरत ज़्यादा होती है, इसलिए RoE तुलनात्मक रूप से कम है.

RoE की कमियां क्या हैं?
RoE एक शानदार मीट्रिक है, लेकिन ये परफ़ेक्ट नहीं है. कुछ चीज़ें हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए:

  • शेयर बायबैक का असर : अगर कंपनी अपने शेयर वापस ख़रीदती है, तो शेयरधारकों की इक्विटी कम हो जाती है. इससे RoE बढ़ जाता है, लेकिन ये मैनेजमेंट की असली कुशलता को नहीं दिखाता. उदाहरण: अगर इंफोसेस (Infosys) शेयर बायबैक करती है, तो उसका RoE अचानक बढ़ सकता है.
  • ज़्यादा क़र्ज़ का ख़तरा : अगर कंपनी ज़्यादा क़र्ज़ लेकर प्रॉफ़िट बढ़ाती है, तो RoE ऊंचा दिखेगा. लेकिन ज़्यादा क़र्ज़ कंपनी के लिए जोखिम भरा हो सकता है. वोडाफ़ोन आइडिया इसका उदाहरण है, जहां क़र्ज़ ने RoE को प्रभावित किया.
  • अकाउंटिंग ट्रिक्स : कुछ कंपनियां अकाउंटिंग तकनीकों (जैसे डेप्रिसिएशन को कम दिखाना) से नेट इनकम को बढ़ा सकती हैं, जिससे RoE ग़लत तरीक़े से ऊंचा दिखता है.

एक मिसाल:
RoE को अकेले न देखें. इसे Debt-to-Equity Ratio, P/E Ratio , और ROCE (Return on Capital Employed) जैसे दूसरे मीट्रिक्स के साथ मिलाकर विश्लेषण करें. इससे आपको कंपनी की पूरी तस्वीर मिलेगी.

ये भी पढ़ेंः एसेट मैनेजमेंट कंपनी क्या है?

निवेश से पहले RoE को कैसे देखें?
RoE का सही इस्तेमाल करने के लिए इन बातों का ध्यान रखें:

  • 3-5 साल का ट्रेंड देखें : क्या कंपनी का RoE लगातार बढ़ रहा है? उदाहरण के लिए, बजाज फ़ाइनेंस का RoE पिछले 5 सालों में स्थिर रहा है (क़रीब 20.76-18.06), जो इसकी ताक़त दिखाता है.
  • सेक्टर से तुलना करें : हर सेक्टर का RoE अलग होता है. बैंकिंग में 15% RoE अच्छा है, लेकिन FMCG में 30% से कम RoE कमज़ोर माना जा सकता है.
  • क़र्ज़ का स्तर चेक करें : ज़्यादा क़र्ज़ वाली कंपनियों का RoE भ्रामक हो सकता है. Debt-to-Equity Ratio 1 से कम होना बेहतर है.

निष्कर्ष
रिटर्न ऑन इक्विटी (RoE) सिर्फ़ एक नंबर नहीं, बल्कि कंपनी की ताक़त और मैनेजमेंट की कुशलता का आईना है. अगर आप स्मार्ट निवेश करना चाहते हैं, तो RoE को अपने टूलकिट में शामिल करें. ये आपको सही स्टॉक चुनने और अपने पैसे को बढ़ाने में मदद करेगा.

FAQs: RoE से जुड़े सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले सवाल

  • RoE क्या है?
    RoE यानी रिटर्न ऑन इक्विटी, जो बताता है कि कंपनी शेयरधारकों की पूंजी से कितना मुनाफ़ा कमा रही है.
  • RoE कितना अच्छा होना चाहिए?
    15% से ऊपर RoE अच्छा माना जाता है, लेकिन यह सेक्टर पर निर्भर करता है. IT और FMCG में 20-30% RoE बेहतर है.
  • RoE और ROCE में क्या अंतर है?
    RoE सिर्फ इक्विटी पर रिटर्न देखता है, जबकि ROCE कर्ज और इक्विटी दोनों को ध्यान में रखता है.
  • क्या ज़्यादा RoE हमेशा अच्छा होता है?
    नहीं, अगर RoE ज़्यादा कर्ज या अकाउंटिंग ट्रिक्स की वजह से बढ़ा है, तो ये भ्रामक हो सकता है.
  • RoE कैसे चेक करें?
    कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट या वैल्यू रिसर्च पर नेट इनकम और इक्विटी का डेटा देखें.

ये भी पढ़ेंः क्‍या बेहतर है ROE या ROCE

ये लेख पहली बार अप्रैल 25, 2025 को पब्लिश हुआ.

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