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ETF vs एक्टिव इक्विटी फ़ंडः निवेश के लिए क्या है बेहतर?

घरेलू इक्विटी निवेश वाले ETF का नेट-फ़्लो 500% बढ़ा, जानिए आपके लिए क्या सही है

ETF बनाम एक्टिव इक्विटी फंड: 2025 में निवेश के लिए क्या बेहतर?Adobe Stock

मार्च 2025 में घरेलू इक्विटी पर केंद्रित ETF में नेट-फ़्लो में बीते महीने (मंथ-ऑन-मंथ) की तुलना 500% की भारी बढ़त दिखी. कुल मिलाकर, इक्विटी मार्केट में भारी उतार-चढ़ाव के बीच निवेशकों का रुझान पैसिव म्यूचुअल फ़ंड की ओर देखने को मिला है. एसोसिएशन ऑफ़ म्यूचुअल फ़ंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक़, मार्च 2025 में घरेलू इक्विटी ETF में इनफ़्लो बढ़कर ₹11,808.08 करोड़ हो गया, जो फ़रवरी 2025 में ₹1,943.80 करोड़ के स्तर पर था.

तो क्या घरेलू इक्विटी पर केंद्रित ETF फ़ंड अगला 'गोल्ड' साबित होने जा रहे हैं? ऐसे में, सवाल ये भी उठता है कि लंबे समय में एक्टिव इक्विटी केंद्रित फ़ंड की तुलना में ये बेहतर साबित हो सकते हैं? हम यहां इसी पर चर्चा कर रहे हैं.

ETF vs एक्टिव इक्विटी फ़ंडः लंबे समय में कौन पड़ा भारी?

ETF और एक्टिव इक्विटी फ़ंड्स में से निवेश के लिए क्या बेहतर है, इसे समझने के लिए दोनों के लंबे समय के रिटर्न पर ग़ौर करना ज़रूरी है. यहां पर आगे दो टेबल में दोनों तरह के फ़ंड्स के लिए 10 साल को ध्यान में रखते हुए टॉप 5 फ़ंड्स की अलग-अलग लिस्ट तैयार की गई है.

10 साल के टॉप 5 ETF

फ़ंड 10 साल का सालाना रिटर्न (%)
Motilal Oswal NASDAQ 100 ETF 18.87
Motilal Oswal Nifty Midcap 100 ETF 16.12
Nippon India ETF Nifty Dividend Opp 50 14.08
CPSE ETF 14.06
SBI Nifty Next 50 ETF 13.96
नोटः डेटा 29 अप्रैल 2025 का है

टॉप 5 ETF ने बीते 10 साल के दौरान लगभग 14 से 19 फ़ीसदी के दायरे में रिटर्न दिया है.

10 साल के टॉप 5 ETF

फ़ंड 10 साल का सालाना रिटर्न (%)
Motilal Oswal NASDAQ 100 ETF 18.87
Motilal Oswal Nifty Midcap 100 ETF 16.12
Nippon India ETF Nifty Dividend Opp 50 14.08
CPSE ETF 14.06
SBI Nifty Next 50 ETF 13.96
नोटः डेटा 29 अप्रैल 2025 का है

वहीं टॉप 5 एक्टिव इक्विटी फ़ंड्स ने 10 साल में 20 से 22 फ़ीसदी के बीच रिटर्न दिया है.

इस तरह, रिटर्न के मामले में ETF के मुक़ाबले एक्टिव इक्विटी फ़ंड काफ़ी आगे नज़र आते हैं.

तो चलिए, आगे ETF और एक्टिव इक्विटी फ़ंड की ख़ूबियों पर ग़ौर करते है...

ये भी पढ़ेंः जानें कब और क्यों डेट फ़ंड नेगेटिव रिटर्न दे सकते हैं?

ETF की 5 ख़ास बातें
1. कम एक्सपेंस रेशियो :
ETF आमतौर पर इंडेक्स को ट्रैक करते हैं और एक्टिवली मैनेज नहीं किए जाते. इस वजह से इनमें निवेश पर आने वाली कॉस्ट (Expense Ratio) बेहद कम होती है, जो आमतौर पर 0.1% से 0.5% के बीच होती है.

2. पारदर्शिता : ETF के पोर्टफ़ोलियो में कौन-कौन से स्टॉक्स हैं, इसकी जानकारी रोज़ाना मिलती है. इससे निवेशक को पारदर्शिता और नियंत्रण का अनुभव होता है.

3. शेयर की तरह ट्रेडिंग : ETF स्टॉक्स की तरह एक्सचेंज पर रियल-टाइम में ख़रीदे और बेचे जा सकते हैं. इसीलिए, ये ट्रेडिंग के लिहाज़ से लचीले होते हैं.

4. बाज़ार जोखिम का सीमित प्रभाव : चूंकि ETF इंडेक्स को फ़ॉलो करते हैं, इसलिए इनमें इंडेक्स की औसत परफ़ॉर्मेंस मिलती है. ये फ़ंड अंडरपरफ़ॉर्म या ओवरपरफ़ॉर्म नहीं करते, जिससे तुलनात्मक रूप से स्थिर रिटर्न मिलते हैं.

5. लंबे समय के निवेश के लिए उपयुक्त : कम लागत और औसत प्रदर्शन के कारण ETF ख़ासकर ऐसे निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन के लिहाज़ से सही हो सकते हैं, जो कम रिस्क चाहते हैं.

एक्टिव इक्विटी फंड्स की 5 ख़ास बातें
1. एक्टिव मैनेजमेंट का लाभ
: इन फ़ंड्स को पेशेवर फ़ंड मैनेजर एक्टिवली मैनेज करते हैं. अच्छा फ़ंड मैनेजर सही समय पर सही स्टॉक्स चुनकर बेंचमार्क को मात दे सकता है.

2. हाई रिटर्न की संभावना : अगर सही ढंग से मैनेज किया जाए तो एक्टिव इक्विटी फ़ंड्स इंडेक्स को ओवरपरफ़ॉर्म कर सकते हैं. इससे उनके लिए ज़्यादा रिटर्न का मौक़ा होता है.

3. डायवर्सिफ़ाइड इन्वेस्टमेंट : इन फ़ंड्स में विभिन्न सेक्टरों और कंपनियों में निवेश किया जाता है, जिससे डाइवर्सिफ़िकेशन और रिस्क को कंट्रोल करने में मदद मिलती है.

4. थीमैटिक और सेक्टोरल विकल्प : एक्टिव इक्विटी फ़ंड्स थीमैटिक (जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, आईटी, ग्रीन एनर्जी) भी होते हैं, जिससे निवेशक ख़ास क्षेत्रों पर दांव लगा सकते हैं.

5. SIP के लिए लोकप्रिय : SIP यानी सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए इनमें नियमित निवेश करना आसान होता है और कंपाउंडिंग का फ़ायदा मिलता है.

ये भी पढ़ेंः 10 साल तक लगातार 15% मुनाफ़ा ग्रोथ वाले ये मिडकैप शेयर हैं ख़ास

क्या है बेहतर?

ETF और एक्टिव इक्विटी फंड्स दोनों के अपने फ़ायदे हैं. सही विकल्प आपके निवेश उद्देश्यों, रिस्क प्रोफ़ाइल और समयावधि पर निर्भर करता है.

कब ETF बेहतर हैं?

  • अगर आप कम लागत पर, पारदर्शिता के साथ, बाज़ार की औसत ग्रोथ को को भुनाना करना चाहते हैं.
  • अगर आप लॉन्ग टर्म निवेशक हैं और एक्टिव फ़ंड मैनेजर की क्षमता पर भरोसा नहीं करते.
  • जब बाज़ार बहुत ज़्यादा अस्थिर हो, और एक्टिव फ़ंड्स में ग़लत चयन की आशंका बढ़ जाए.

कब एक्टिव इक्विटी फ़ंड्स बेहतर हैं?

  • अगर आप हाई रिटर्न की चाहत रखते हैं और फ़ंड मैनेजर की क्षमता पर भरोसा करते हैं.
  • यदि आप विशेष क्षेत्रों (जैसे बैंकिंग, फार्मा) में अवसर देख रहे हैं.
  • जब बाज़ार में स्पष्ट ट्रेंड होता है और अच्छा फ़ंड मैनेजर इस मौक़े को कैश कर सकता है.

मार्च 2025 में ETF में बढ़ा इनफ़्लो ये दिखाता है कि निवेशक अब कम कॉस्ट और स्थिरता की ओर बढ़ रहे हैं. बाज़ार की अस्थिरता के चलते निवेशकों का झुकाव रिटर्न के बजाय सुरक्षा की ओर बढ़ा है.

लेकिन लंबे समय में, एक्टिव फ़ंड्स यानी एक्टिव इक्विटी फ़ंड्स बेहतर रिटर्न दे सकते हैं - बशर्ते फ़ंड का मैनेजर कुशल हो और बाज़ार में ट्रेंड पहचान सके. वहीं, ETF एक ऐसा निवेश है, जिसमें ग़लती की गुंजाइश नहीं होती है और कम ख़र्च, औसत प्रदर्शन और लंबी अवधि में स्थिर लाभ के फ़ायदे मिलते हैं.

डिस्क्लेमरः यहां म्यूचुअल फ़ंड्स और ETF के रिटर्न से जुड़ी जानकारी दी जा रही है. इसे निवेश की सलाह न समझें.

ये भी पढ़ेंः 10 साल में सबसे ज़्यादा रिटर्न देने वाले 5 म्यूचुअल फ़ंड कौन-से हैं?

ये लेख पहली बार अप्रैल 30, 2025 को पब्लिश हुआ.

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