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हाल ही में स्पेन और पुर्तगाल में बड़े पैमाने पर बिजली कट जाने के दौरान मैड्रिड से इटली की यात्रा करने वाले एक मज़बूत इरादे के निवेशक की कहानी ने सोशल मीडिया पर काफ़ी तारीफ़ें और हैरानी बटोरी. हालांकि उनके समर्पण ने ख़ूब सहानुभूति लूटी, लेकिन इसने अनजाने में आधुनिक निवेश की आदतों को लेकर एक परेशान करने वाली सच्चाई भी उजागर कर दी - और ये पूरी गंभीरता से जांचने लायक़ बात है.
इस आसान सवाल पर सोचिए: अगर आपका इन्वेस्टमेंट पोर्टफ़ोलियो आपके लगातार ध्यान दिए जाने के बिना कुछ दिनों या हफ़्तों तक ज़िंदा ही नहीं रह सकता, तो क्या सही में एक ये निवेश है भी या निवेश की शक्ल में जुए का एक खेल है?
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ऐसे समय में जब फ़ाइनेंशियल मार्केट स्मार्टफ़ोन के ज़रिए चौबीसों घंटे उपलब्ध हैं, इन्वेस्टमेंट इंडस्ट्री ने बड़ी सफ़ाई से इस सोच को लोगों में भर दिया है कि सफल निवेश करना है तो लगताार चौकन्ना रहना पड़ेगा. क़ीमत की हर छोटी-मोटी हरकत के लिए ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म लगातार जानकारियों की बौछार करते हैं, और फ़ाइनेंस के न्यूज़ चैनल मार्केट की हर उतार-चढ़ाव की रिपोर्टिग इस तरह करते हैं जैसे वही विश्व इतिहास का एक सबसे महत्वपूर्ण मोड़ हो. इसमें कौन सा संदेश छिपा होता है? अपने रिस्क पर लगातार नज़र रखो.
ये संदेश इंडस्ट्री के लिए तो अच्छा है, ट्रांज़ैक्शन फ़ीस और विज्ञापन का रेवेन्यू इसी से आता है, लेकिन ये ग़लत संदेश देता कि असल में निवेश को क्या करना चाहिए. मैंने कई बार कहा है, निवेश में सफलता बहुत कुछ करने से नहीं बल्कि रिस्क को स्पष्ट तरीक़े से समझ कर ख़त्म करने और ठोस सिद्धांतों के लगातार इस्तेमाल से आती है. सच्चे निवेश - जिसका मूल्य असली बिज़नस गढ़ते हैं - उन्हें हर रोज़ निगरानी की ज़रूरत नहीं होती. इसी पर वॉरेन बफ़ेट का एक प्रसिद्ध सुझाव था कि ऐसे इन्वेस्ट करो जैसे मार्केट पांच साल के लिए बंद हो सकता है. ये कुछ अतिशयोक्ति भरी बात लगेगी पर इस बात का मर्म सही है कि अच्छे निवेश छोड़ दिए जाने पर पनपते हैं.
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छुट्टियों वाला इम्तिहान बड़ा कारगर है. अगर दो या तीन हफ़्तों तक मार्केट से अलग रहने की संभावना आपकी चिंता का कारण बनती है, तो ऐसे में, आपका पोर्टफ़ोलियो शायद कई बीमारियों में से एक से ग्रस्त है: बहुत ज़्यादा जटिलता, ग़लत तरह के रिस्क, या अपने स्वभाव और रिस्क लेने की क्षमता को ग़लत तौल बैठना.
जटिलता, सही क़िस्म के निवेश की स्वाभाविक दुश्मन है. कुछ साल पहले, मैंने लिखा था, "सरलता आपके उद्देश्य को सबसे अच्छे तरीक़े से पूरा करती है, क्योंकि आप हमेशा जानते हैं कि क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है." अलग-अलग प्रतिशत के 30 अलग-अलग निवेशों वाला एक पोर्टफ़ोलियो देखने में बड़ा रिफ़ाइंड लग सकता है. मगर, इसे समझना या असरदार ढंग से मैनेज करना बहुत मुश्किल हो जाता है, ख़ासकर एक छोटे से हिल स्टेशन पर एक सुंदर होमस्टे से जब आपके फ़ोन का हॉटस्पॉट दम तोड़ रहा हो.
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इसी तरह, अगर आपके पोर्टफ़ोलियो में बहुत ज़्यादा उतार-चढ़ाव वाली पोज़िशन हैं जो लगातार एडजस्ट किए बिना भरभरा कर ढह सकती हैं, तो आपने निवेश की स्ट्रैटजी नहीं अपनाई है बल्कि ताश के पत्तों का महल खड़ा किया है. याद रखें, फ़ाइनेंशियल मार्केट में "अवसर" के रूप में जो कुछ भी दिखाया जाता है, वो केवल फ़ैंसी ड्रेस में सजा हुआ रिस्क होता है. सबसे अहम बात है कि आपका निवेश का नज़रिया आपके स्वभाव से मेल खाना चाहिए. अगर अपने पोर्टफ़ोलियो के लिए आपको हर रोज़ की जांच-पड़ताल की ज़रूरत पड़ती है, तो ज़रा सा डिस्कनेक्ट होना बेकार का तनाव ही पैदा करेगा, फिर बात चाहे पहले से प्लान की गई छुट्टियों की हो या बिजली का कटना हो या फिर हेल्थ की कोई इमरजेंसी.
मैं जो हल सुझा रहा हूं वो बहुत जटिल या नया नहीं है, लेकिन असरदार है: एक ऐसा पोर्टफ़ोलियो बनाएं जो उस अवधि को झेल सके जब आप उसे नज़रअंदाज़ कर रहे हों. ज़्यादातर निवेशकों के लिए, इसका मतलब है क्वालिटी वाले निवेशों का एक कलेक्शन, यानी व्यक्तिगत स्टॉक के बजाय फ़ंड्स जो आपके निवेश की अवधि के आधार पर सही एसेट एलोकेशन के साथ हों.
ध्यान दें, कैसे ये फ़ाइनेंस मीडिया के संदेशों की बौछार से उलटा तरीक़ा है. जैसा कि मैंने पहले कहा, "हर समय, उनका छिपा हुआ संदेश ये होता है कि छोटी-छोटी घटनाएं सभी निवेशकों के लिए बहुत मायने रखती हैं और आप अगर निवेशक हैं, तो आपको मिनट-दर-मिनट न्यूज़ से चिपके रहना चाहिए और हरेक मिनट की जानकारियों पर कुछ करने के लिए कमर कसे रहना चाहिए. इससे ज़्यादा सच्चाई से दूर और कुछ भी नहीं हो सकता."
अगली बार जब आप छुट्टियां प्लान करते हैं, तो इसे निवेश के तनाव का इम्तिहान या टेस्ट मानें. अगर तीन हफ़्ते के लिए अपने पोर्टफ़ोलियो से डिस्कनेक्ट होना चिंता पैदा करता है, तो ये छुट्टी की समस्या नहीं - ये पोर्टफ़ोलियो की समस्या है. आख़िरकार, जहां छुट्टियां आप ख़ुद तय करते हैं, बिजली का बड़े स्तर पर कट जाना और सेहत से जुड़ी इमरजेंसी तो आपके बस में नहीं होती. इस समझ के साथ पोर्टफ़ोलियो बनाएं. हरेक निवेश की समीक्षा करने के लिए कुछ वक़्त निकालें और ख़ुद से पूछें: "अगर मैं इसे एक महीने तक चेक न कर सकूं, तो क्या फिर भी मैं चैन से रह सकूंगा?" अगर जवाब नहीं है, तो ऐसा निवेश आपके पोर्टफ़ोलियो में नहीं होना चाहिए. सबसे सही निवेश वही होते हैं जो लगातार ध्यान नहीं मांगते और चुपचाप पैसा कमाते हैं - जब आप व्यस्त जीवन जी रहे होते हैं, डूबते सूरज के नज़ारों का मज़ा ले रहे होते हैं, या जीवन की किसी मुश्किल से उबर रहे होते हैं. निवेश की ही तरह, ज़िंदगी की तमाम बातों के लिए भी यही सच है कि दूरी बनाने की क्षमता कोई लग्ज़री नहीं बल्कि एक बुनियादी ताक़त है.
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