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सेनको गोल्ड का मुनाफ़ा बढ़ रहा है, तो शेयर क्यों नहीं?

याद रखें, हर चमकती हुई चीज़ सोना नहीं होती

सेनको गोल्ड का मुनाफा बढ़ रहा है. तो, शेयर क्यों नहीं बढ़ रहा है?Aditya Roy/AI-Generated Image

कंपनी का कारोबार और कमाई तेज़ी से बढ़ रही है. तो फिर समस्या कहां है? हमने उनकी बैलेंस शीट खंगाली.

सेनको गोल्ड ने कागजों पर ग्रोथ की शानदार स्टोरी लिखी है. फ़ाइनेंशियल ईयर 2021-24 के दौरान इसका टैक्स और असाधारण मदों से पहले का मुनाफ़ा 44 प्रतिशत की प्रभावशाली सालाना दर से बढ़ा है. इस दौरान कैपिटल पर रिटर्न का औसत भी 17 प्रतिशत रहा, जो मज़बूत एसेट के मामले में दक्षता की वजह से संभव हुआ.

हालांकि, पिछले एक साल में इसके शेयर की क़ीमत में 39 प्रतिशत की गिरावट आई है. समस्या कंपनी की कैश जेनरेट करने की कमज़ोर क्षमता से जुड़ी है.

कैश कहां है?

पिछले तीन फ़ाइनेंशियल ईयर में सेनको का ऑपरेटिंग कैश फ़्लो निगेटिव रहा है. केवल फ़ाइनेंशियल ईयर 2024 में ही ऑपरेशन से क़रीब ₹294 करोड़ की नकदी बाहर गई. और भी चौंकाने वाली बात ये है: पिछले पांच सालों में, ऑपरेशन से इसका कुल कैश फ़्लो (टैक्स से पहले) EBITDA का सिर्फ़ 4 प्रतिशत रहा. दूसरे शब्दों में, मुनाफ़ा ज़्यादातर कागजों पर ही अटका हुआ है.

इन्वेंट्री का बोझ

समस्या क्या है? बढ़ता हुआ वर्किंग कैपिटल-ख़ासकर इन्वेंट्री. सेनको का वर्किंग कैपिटल फ़ाइनेंशियल ईयर 2021 में ₹449 करोड़ से बढ़कर फ़ाइनेंशियल ईयर 2024 में ₹1,172 करोड़ तक पहुंच गया. इन्वेंट्री-टू-रेवेन्यू रेशियो 2022 के 39 प्रतिशत से बढ़कर 47 प्रतिशत हो गया.

इसका कारण ये है कि ज्वैलरी रिटेल में शोरूम में प्रदर्शन के लिए भारी स्टॉक रखना पड़ता है. सेनको आमतौर पर पांच से छह महीने की इन्वेंट्री रखती है और त्योहारी सीजन में ये और भी बढ़ जाती है.

हाल ही में सोने की क़ीमतों में उछाल ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है. फ़ाइनेंशियल ईयर 2025 में, इन्वेंट्री मूल्य में ₹821 करोड़ की वृद्धि हुई, जिसमें से ₹500 करोड़ सिर्फ़ सोने की ऊंची क़ीमतों की वजह से थे.

इसी बीच, सेनको विस्तार की राह पर है. फ़ाइनेंशियल ईयर 2024 में इसने 23 नए स्टोर खोले और 2025 में 16 और खोले. यानी, स्टॉक करने के लिए और जगहें और ज़्यादा वर्किंग कैपिटल की ज़रूरत.

फ़ंडिंग कैसे हो रही है?

कैपिटल की इस बढ़ती भूख को पूरा करने के लिए, सेनको शॉर्ट टर्म की उधारी पर बहुत ज़्यादा निर्भर है. मार्च 2025 तक इसका शॉर्ट टर्म डेट-टू-इक्विटी रेशियो 90 प्रतिशत था. इसका एक बड़ा हिस्सा गोल्ड मेटल लोन (GML) के ज़रिए आता है, जिसकी ब्याज दरें कम होती हैं, लेकिन हाल ही में जनवरी में 3.2 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2025 में ये 6.6 प्रतिशत हो गईं, जिसने नकदी की कमी को और गंभीर कर दिया.

लोन्स के अलावा, कंपनी ने हाल ही में ₹448 करोड़ के QIP के साथ इक्विटी मार्केट से भी पैसा जुटाया. इसका ज़्यादातर हिस्सा वर्किंग कैपिटल में गया.

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क्या लिक्विडिटी की स्थिति वाकई ठीक है?

निगेटिव कैश फ़्लो के बावजूद, सेनको का कहना है कि उसकी कैश की स्थिति ठीक है और ये आंतरिक स्रोतों, अतिरिक्त बैंक बैलेंस और भविष्य के इनफ़्लो पर आधारित है.

लेकिन बढ़ते ब्याज के बोझ, बाहरी पूंजी पर निर्भरता और इन्वेंट्री में भारी बढ़ोतरी को देखते हुए, निवेशकों को प्रबंधन के आश्वासनों से ज़्यादा गहराई में जाना चाहिए. ये पूंजी की ज़्यादा ज़रूरत वाला बिज़नस मॉडल है और सोने की क़ीमतों और मांग में उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील है.

आपके लिए सलाह

कमाई में ग्रोथ कहानी का सिर्फ आधा हिस्सा है. दूसरा आधा हिस्सा-ये कि वो मुनाफ़ा कैश में बदल रहा है या नहीं-उतना ही महत्वपूर्ण है. सेनको गोल्ड के मामले में, चमक सिर्फ ऊपरी है.

इसके अलावा, ऑपरेटिंग मार्जिन 7 प्रतिशत से कम है, क्योंकि ज्वैलरी रिटेल बेहद प्रतिस्पर्धी और कम मार्जिन वाला बिज़नस है.

सेनको एक बिखरी हुई इंडस्ट्री में काम करती है, जहां संगठित चेन और असंगठित स्थानीय ज्वैलर्स दोनों हैं. इससे क़ीमत तय करने की क्षमता सीमित हो जाती है और मार्जिन बढ़ाने की गुंजाइश कम रहती है, चाहे टॉपलाइन यानी रेवेन्यू कितनी भी तेज़ी से बढ़े.

इसके ऊपर, वर्किंग कैपिटल के लिए उधारी पर लगातार निर्भरता बनी हुई है, जिससे कैश के मोर्चे पर बहुत कम गुंजाइश बचती है. जब तक कंपनी अपनी इन्वेंट्री पर नियंत्रण नहीं करती और बाहरी फ़ंडिंग पर निर्भरता कम नहीं करती, उसके वित्तीय लचीलेपन और कैश फ़्लो पर दबाव बना रहेगा.

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