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2021 में 38 साल के रमेश को लगा कि वो टैक्स प्लानिंग में काफ़ी होशियार हैं. उन्होंने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में ₹50,000 का योगदान किया ताकि सेक्शन 80CCD(1B) के तहत अतिरिक्त टैक्स डिडक्शन ले सकें. इससे उस साल उनका टैक्स बोझ घटा.
लेकिन अगले साल उन्होंने नई टैक्स रिजीम को अपनाया, जिसमें ये अतिरिक्त डिडक्शन नहीं मिलता. इसलिए उन्होंने NPS में योगदान बंद कर दिया. उनका अकाउंट धीरे-धीरे डिजिटल धूल से ढकता गया—अप्रैल में जब उन्होंने अपनी रिटायरमेंट सेविंग्स देखने की सोची, तो पाया कि अकाउंट फ्रीज़ हो चुका है.
NPS अकाउंट फ्रीज़ क्यों होता है?
अगर आप किसी फ़ाइनेंशियल ईयर में कम से कम ₹1,000 का योगदान नहीं करते, तो आपका NPS अकाउंट इनऐक्टिव या फ़्रीज़ कर दिया जाता है.
इसका मतलब:
- आप नया योगदान नहीं कर सकते
- फ़ड मैनेजर या इन्वेस्टमेंट ऑप्शन नहीं बदल सकते
- नॉमिनी अपडेट नहीं कर सकते
- पैसे नहीं निकाल सकते
मतलब ये कि रिटायरमेंट के लिए रखा गया पैसा, आपकी पहुंच से बाहर हो जाता है—जब तक आप उसे फिर से एक्टिव न करें.
अनफ़्रीज़ कैसे करें?
रमेश ने तुरंत CRA पोर्टल (जैसे Protean) में जाकर अपना PRAN डाला. 'Contribute Online' टैब में 'Unfreeze Account' का ऑप्शन मिला. बस ₹500 का छोटा योगदान और ₹100 की रिएक्टिवेशन फ़ीस दी. पेमेंट UPI से किया और अगली सुबह अकाउंट फिर से चालू हो गया.
न कोई काग़ज़ी झंझट, न कस्टमर केयर कॉल, न साइन लेने की दौड़.
अगर आपने NPS खाता किसी बैंक या किसी Point of Presence (POP) के ज़रिए खोला है, तो आप वहां जाकर भी फ़ॉर्म भरकर और ज़रूरी योगदान देकर अकाउंट को फिर से एक्टिव कर सकते हैं.
नए टैक्स रिजीम में भी बचत का एक रास्ता
रमेश की तरह बहुत से लोग मानते हैं कि नए टैक्स रिजीम में NPS का कोई फ़ायदा नहीं रह गया, क्योंकि सेक्शन 80CCD(1B) के तहत ₹50,000 की अतिरिक्त डिडक्शन नहीं मिलता.
लेकिन एक ज़रूरी टैक्स बेनिफ़िट अब भी उपलब्ध है.
सेक्शन 80CCD(2) के तहत, अगर आपका नियोक्ता आपके NPS अकाउंट में योगदान करता है, तो आप अपनी बेसिक सैलरी के 14% तक की डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.
उदाहरण:
अगर आपकी सालाना बेसिक सैलरी ₹12 लाख है, तो नियोक्ता सालाना ₹1.68 लाख तक NPS में योगदान कर सकता है जिसे आप टैक्स डिडक्शन के रूप में क्लेम कर सकते हैं.
ये योगदान आमतौर पर CTC का हिस्सा होता है और सैलरी स्ट्रक्चर में एडजस्ट किया जा सकता है—लेकिन इसके लिए HR या पेरोल टीम से बातचीत ज़रूरी है.
अभी फ़ाइनेंशियल ईयर की शुरुआत है, तो ये सही समय है HR से संपर्क करने का कि क्या इस विकल्प को आपकी सैलरी में जोड़ा जा सकता है.
क्यों NPS पर अब भी ध्यान देना चाहिए?
NPS सिर्फ़ टैक्स बचाने का साधन नहीं है. ये एक ऐसा सिस्टम है जो वित्तीय अनुशासन सिखाता है. ये आपको रिटायरमेंट तक जुड़े रहने के लिए प्रेरित करता है—जो ज़्यादातर लोग ख़ुद नहीं कर पाते.
कम लागत, इक्विटी और डेट दोनों में एक्सपोज़र और ऐसा लॉक-इन जो आपके पक्ष में काम करता है—NPS धीरे-धीरे आपके लिए रिटायरमेंट फ़ंड बनाता रहता है. न आपको रोज़ ट्रैक करना होता है, न मार्केट टाइमिंग की चिंता. बस जुड़े रहिए.
रमेश के लिए, अकाउंट अनफ़्रीज़ करना एक अलार्म जैसा था. अब वो एक छोटी सी रेकरिंग SIP सेट कर चुके हैं—कुछ ज़्यादा नहीं, बस इतना कि रफ़्तार बनी रहे. और इससे भी ज़्यादा अहम बात ये कि उन्होंने HR से नियोक्ता योगदान पर बात शुरू कर दी है.
क्योंकि कई बार, रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए किसी नए प्लान की नहीं, पुराने को दोबारा ज़िंदा करने की ज़रूरत होती है.
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ये लेख पहली बार अप्रैल 25, 2025 को पब्लिश हुआ.